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Showing posts from July, 2013

आज के दिन : अंशुमान

खिला है, फूल चमन में हमारे, आज ही के दिन महका है, चमन हमारा, आज ही के दिन। हुआ है, सपना पूरा हमारा, आज ही के दिन नम हुई हैं, आंखे हमारी, आज के ही दिन क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन। ज़िंदगी की शुरुआत हुई है, आज ही के दिन पाई है, मंजिल हमने, आज ही के दिन दिया है, नाम नया प्यार को तुमने, आज ही के दिन खिला है, फूल बनकर प्यार हमारा, आज ही के दिन क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन। राम ने चूमा है, सीता का माथा, आज ही के दिन कृष्ण ने थामा है, राधा का दामन, आज ही के दिन मीरा हुई है, मगन श्याम के रंग, आज ही के दिन क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन। प्यार के रंगों का एहसास मिला है हमको, आज ही के दिन छुटा था जो दामन, थामा है फिर से उसको, आज ही के दिन जुदा था जो, गले लगाया है उसको, आज ही के दिन दर्द के एहसास को बनाया है, प्यार हमने, आज ही के दिन क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन खिला है, फूल चमन में हमारे, आज ही के दिन महका है, चमन हमारा, आज ही के दिन। नोट: मैंने यह कविता अपने बेटे "As

अधिवक्ता हित में अंशुमान दुबे, अधिवक्ता का प्रस्ताव को समर्थन :-

वाराणसी न्यायलय परिसर स्थित दोनों बार संघों ने  राज्य विधिज्ञ परिषद् उत्तर प्रदेश के प्रस्ताव का पर चर्चा करने के लिए दिनांक 19-07-2013 को एक संयुक्त बैठक दी बनारस बार के सभागार में आहूत की, जिसमें अंशुमान दुबे, अधिवक्ता ने अपने विचार रखे.    दी बनारस बार के पत्र की प्रति :- Web Link :-   http://advocatepension.blogspot.in/2013/07/bar-council-of-up-send-letter-to-cm-for.html