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Showing posts from 2014

Happy Advocate's Day :-

3-दिसम्बर अधिवक्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 3rd December Happy Advocate's Day .

विधि संदेश 'काशी' ~ तृत्तीय संस्करण

विधि संदेश 'काशी' ~ तृत्तीय संस्करण 💫 नयी सोच नया नज़रिया  💫 नवम्बर / दिसम्बर 2014 वाराणसी कचहरी  वर्ष : 1 - अंक : 3 - कुल पृष्ठ : 8 प्रकाशित प्रतियां :3000  👉 Web link:- http://vidhisandeshkashi.blogspot.in/2014/11/blog-post_29.html 👉 Check it, Comment on it,  Advise us for improvement and please share it.

कचहरी बम धमाका 23/11 - श्रद्धांजलि

कचहरी बम धमाका 23/11 (२७-११-२००७) की बरसी पर अधिवक्ता बंधुआें ने शहीद अधिवक्ताअाें व अन्य काे श्रद्धांजलि दी। माेमबत्ती जलाई आैर दाे मिनट का माैन रखकर शाेक व्यक्त किया और शहीदों को शत-शत नमन किया।  कचहरी की सुरक्षा के लिए शासन-प्रशासन व मौके पर उपस्थित जिला जज से विचार करने और कचहरी के दोनों परिसरों की सुरक्षित करने के लिए जरूरी कार्यवाही करने  का सविनय निवेदन किया।

उनकी भी नसबन्दी करा दाे :-

गरीबी का मज़ाक गरीबाेें की माैत पे, जितना चाहे बतिया लाे, राजनीति कर लाे, डाक्टरों काे जेल भेज दाे, दवा कम्पनी काे बन्द कर दाे, जाे चाहाे वह कर लाे, करवा दाे। पर बिन मां के बच्चाें का क्या हाेगा यह ताे बता दाे..? भाई की सूनी कलाई काे दम हाे ताे फिर से सजा दाे, पत्नी के बिन पति का फिर से विवाह करा दाे... आैर कुछ ना कर सकाे ताे उनकी भी नसबन्दी करा दाे, मीडिया काे काफी दिनाें बाद रमन सिंह के खिलाफ  कुछ मिला है, तनी टी.आर.पी. ताे बड़ा लेने दाे। गरीबाें का काम ही मरना है, चाहे दवा से, चाहे भूख से, चाहे बिमारियां से, लाइन में खडा़ कर गरीबाें काे जलियांवाला बाग बना दाे, वाह रे तेरी दुनिया, वाह रे तेरे अच्छे दिन। जय हाे भारत।

पांच चीजों को फेसबुक पर कभी पोस्‍ट नहीं करना चाहिए :-

आज के दौर में सोशल नेटवर्किंग के मामले में फेसबुक का कोई सानी नहीं है . अगर आप इस वक्‍त अपना स्‍टेटस अपडेट नहीं कर रहे होंगे तो आप या तो फोटो अपलोड कर रहे होंगे या फेसबुक पर किसी अजीब से क्विज में भाग ले रहे होंगे. जाने-अनजाने हम अपने बारे में ऐसी कई निजी जानकारियां फेसबुक पर साझा करने लगे हैं जिनके बारे में आमतौर पर हम किसी से जिक्र तक करना पसंद नहीं करते. हम सोचते हैं कि अगर हमने अपनी प्राइवेसी सेटिंग्‍स सही से सेट की हैं तो चिंता करने की कोई बात नहीं और खुद को अपने फ्रेंड सर्किल के बीच पूरी तरह महफूज समझने लगते हैं. असल परेशानी इस बात की है कि हमें कभी ये पता ही नहीं चलता है कि फेसबुक पर कौन हमारे बारे में पढ़ रहा है या जानकारी जुटा रहा है. हो सकता है कि हमारा कोई दोस्‍त ऐसी एप्‍लीकेशन डाउनलोड कर लेता है जिससे उसका एकाउंट हैक हो जाए. यह भी हो सकता है कि हमारा दोस्‍त लॉगआउट करना भूल जाए और उसके कोई अंकल या जानकार उसके एकाउंट का इस्‍तेमाल करने लगे. ऐसे में अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए आपको इन पांच चीजों को फेसबुक पर कभी पोस्‍ट नहीं करना चाहिए: (1) अपने और अपने परिवार की पूर

स्वच्छ भारत - 'गांधी' सत्ता की चाेट में

सत्यता ताे यह है कि वैचारिक रूप से अस्वच्छ लाेगाें काे गांधीवादी विचारधारा की स्वच्छता समझ में नहीं आ रही है, माेदी जी की बाताें पर वही सब कुछ हाे रहा है, जाे गांधी जी की बात पर कांग्रेसियों का था। गांधी जी की विचारधारा पर चलने के लिए अपने "मैं" काे मारना हाेगा। हमारे प्रधानमंत्री माेदी जी ने ताे "मैं" काे मार दिया है, परन्तु शायद अभी अन्य के  "मैं" का मारना बचा है।  गांधी जी की विचारधारा पर अगर भारत चल पडे़ ताे सम्पूर्ण भारत में राम-राम हाे जायेगा।  'गांधी' नाेट में ताे हैं पर 'गांधी' सत्ता की चाेट में नहीं हैं। जिस दिन माेदी जी की तरह 'गांधी' सत्ता की चाेट में आ जायेंगे उस दिन 'गांधी' व 'माेदी' का लाेकतंत्र भारत में हाेगा। दिनांक ०७-११-२०१४ को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी स्वच्छ भारत अभियान में अस्सी घाट, वाराणसी पर गंगा की मिट्टी साफ़ करते हुए।

देह व्यापार को कानूनी बनाने की सिफारिश कर सकता है, महिला आयोग :-

राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख ललिता कुमारमंगलम देश में सेक्स वर्करों की बेहतर जीवन स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए इसकी पैरवी कर रही हैं अर्थात राष्ट्रीय महिला आयोग देह व्यापार को कानूनी बनाने की सिफारिश कर सकता है। महिला आयोग इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एक पैनल के समक्ष आठ नवंबर २०१४ को अपनी सिफारिशें इस सम्बन्ध में देगा। ललिता कुमारमंगलम ने कहा, 'देह व्यापार को कानूनी बनाने से सेक्स वर्करों को बेहतर जीवन स्थितियां मुहैया कराने में मदद मिलेगी। लेकिन व्यापार में क्या कानूनी एवं क्या गैर कानूनी है, इसे परिभाषित करने के लिए विभिन्न कारकों पर विचार करना होगा।' उच्चतम न्यायालय ने 24 अगस्त 2011 में एक पैनल गठित किया था। यह पैनल सेक्स वर्करों के पुनर्वास के लिए 2010 में एक जनहित याचिका दायर किये जाने के बाद गठित किया गया। राष्ट्रीय महिला आयोग प्रमुख ने इस मुद्दे पर पूछे जाने पर कहा, 'हम देह व्यापार को कानूनी बनाने के मुद्दे, देह व्यापार (निरोधक) कानून में संभावित संशोधन एवं सेक्स वर्करों की जीवन स्थिति में बेहतरी सुनिश्चित करने के बारे में कुछ कुछ सिफारिशें करे

विधि सन्देश 'काशी' - द्वितीय संस्करण

विधि सन्देश 'काशी' - द्वितीय संस्करण साेमवार - 27 अक्टूबर 2014 - वाराणसी कचहरी  वर्ष : 1 - अंक : 2 - कुल पृष्ठ :8 - प्रतियां : 3000 Web link:- http://vidhisandeshkashi.blogspot.in/2014/10/blog-post_26.html/ Check it, Comment on it,  Advise us for improvement and please share it.

पिता द्वारा दीपावली भेंट :-

श्री काली प्रसाद दुबे और एड. अंशुमान दुबे दिया ऐसे जलाआे, कि राेशन हाे हर दिल, अंधेरा मिट जाये, मिले इंसान से इंसान, जैसे सब सगे हाे अपने। राेशन कराे इस तरह अपने काे, लक्ष्मी संग वीणा वादनी भी आवे,   हर जीवन का अंधेरा मिटे,   राेशन हाे आँगन से सारा जहां।।   ......... श्री काली प्रसाद दुबे। 

भारत में बाल यौन शोषण कानून :-

भारत में बाल यौन शोषण कानून को बाल संरक्षण नीतियों के भाग के रूप में अधिनियमित किया गया है। भारत की संसद ने 22 मई 2012 को "लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षक अधिनियम, 2011" (Protection of Children Against Sexual Offences Bill, 2011) पारित कर दिया, जिसे  लैंगिक हमला, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य के अपराध से बालकों का संरक्षण करने और ऐसे अपराधों का विचारण करन के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना तथा उनसे सम्बंधित या आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध करने के लिए अधिनियम बनाया गया है । कानून के अनुसार सरकार द्वारा तैयार नियम भी 14 नवंबर, 2012 को अधिसूचित किया गया है और कानून लागू करने के लिए तैयार हो गया है। भारत के 53 प्रतिशत बच्चे यौन शोषण का किसी ना किसी रूप में सामना करते हैं। इन हालत में कड़े कानून की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी।  यौन अपराधों के कानून से बच्चों का संरक्षण : -   नए कानून के तहत बाल अपराधों की कई किस्म प्रदान की गयी है जिसके माध्यम से आरोपी को हर हाल में दंडित किया जा सकता है। नए कानून के माध्यम से बाल अपराधों को विस्तारित किया गया है अब  यौन उत्

साइबर क्राइम करना भारी पड़ेगा :-

कंप्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज, वर्ल्ड वाइड वेब आदि के जरिए किए जाने वाले अपराधों के लिए छोटे-मोटे जुर्माने से लेकर उम्र कैद तक की सजा दी जा सकती है। दुनिया भर में सुरक्षा और जांच एजेंसियां साइबर अपराधों को बहुत गंभीरता से ले रही हैं। ऐसे मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 तो लागू होते ही हैं, मामले के दूसरे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक कि बिरले मामलों में आतंकवाद निरोधक कानून भी लागू किए जा सकते हैं। कुछ मामलों पर भारत सरकार के आईटी डिपार्टमेंट की तरफ से अलग से जारी किए गए आईटी नियम 2011 भी लागू होते हैं। कानून में निर्दोष लोगों को साजिशन की गई शिकायतों से सुरक्षित रखने की भी मुनासिब व्यवस्था है, लेकिन कंप्यूटर, दूरसंचार और इंटरनेट यूजर को हमेशा सतर्क रहना चाहिए कि उनसे जाने-अनजाने में कोई साइबर क्राइम तो नहीं हो रहा है। तकनीकी जरियों का सुरक्षित इस्तेमाल करने के लिए हमेशा याद रखें कि इलाज से परहेज बेहतर है। साइबर क्राइम, कानून और सज़ा :- हैकिंग :

विधि सन्देश 'काशी'

प्रथम संस्करण - शारदीय नवरात्र  शुक्रवार - 26 सितम्बर 2014 वाराणसी कचहरी  वर्ष : 1 - अंक : 1 - कुल पृष्ठ : 8 http://vidhisandeshkashi.blogspot.in/2014/09/blog-post_25.html   Page No. 1 Page No. 2 http://vidhisandeshkashi.blogspot.in/  

Best wishes for Navratri :-

Goddess 'Durga' is an embodiment of 'Shakti' who overcame the evils of the world.  May this Navratri, everyone uses Her blessings and power to overcome their problems in life.  ~ Wish you a very Happy Navratri ~ Happy Navratri - Anshuman Dubey - 2014

हिंदी भाषा का उच्चतम न्यायालय में प्रयोग :-

संविधान के रक्षक उच्चतम न्यायालय का राष्ट्र भाषा हिंदी में कार्य करना अपने आप में गौरव और हिंदी को प्रोत्साहन का विषय है। राजभाषा पर संसदीय समिति ने 28 नवंबर 1958 को संस्तुति की थी कि उच्चतम न्यायालय में कार्यवाहियों की भाषा हिंदी होनी चाहिए। इस संस्तुति को पर्याप्त समय व्यतीत हो गया है, किंतु इस दिशा में आगे कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश में अंग्रेजी भाषी लोग मात्र 0.021% ही हैं। इस दृष्टिकोण से भी अत्यंत अल्पमत की, और विदेशी भाषा जनता पर थोपना जनतंत्र का स्पष्ट निरादर है। देश की राजनैतिक स्वतंत्रता के 67 वर्ष बाद भी देश के सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाहियां अनिवार्य रूप से ऐसी भाषा में संपन्न की जा रही हैं, जो 1% से भी कम लोगों में बोली जाती है। इस कारण देश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों से अधिकांश जनता में अनभिज्ञता व गोपनीयता, और पारदर्शिता का अभाव रहता है। अब संसद में समस्त कानून हिंदी भाषा में बनाये जा रहे हैं और पुराने कानूनों का भी हिंदी अनुवाद किया जा रहा है अतः उच्चतम न्यायालय को हिंदी भाषा में कार्य करने में कोई कठिनाई नहीं है। राष्ट्रीय

साइबर अपराध और साइबर कानून :-

17 अक्टूबर, 2000 को इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 (सूचना तकनीक क़ानून, 2000) अस्तित्व में आया. 27 अक्टूबर, 2009 को एक घोषणा द्वारा इसे संशोधित किया गया. संशोधित क़ानून में परिभाषाएं निम्नवत हैं : (ए) यहां क़ानून से तात्पर्य सूचना तकनीक क़ानून, 2000 से है. (बी) संवाद (कम्युनिकेशन) का मतलब किसी भी तरह की जानकारी या संकेत के प्रचार, प्रसार या उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना है. यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, किसी भी तरह का हो सकता है. (सी) संवाद सूत्र (कम्युनिकेशन लिंक) का अर्थ कंप्यूटरों को आपस में एक-दूसरे से जोड़ने के लिए प्रयुक्त होने वाले सैटेलाइट, माइक्रोवेव, रेडियो, ज़मीन के अंदर स्थित कोई माध्यम, तार, बेतार या संचार का कोई अन्य साधन हो सकता है. सूचना तकनीक क़ानून 9 जनवरी, 2000 को पेश किया गया था. 30 जनवरी, 1997 को संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली में प्रस्ताव संख्या 51/162 द्वारा सूचना तकनीक की आदर्श नियमावली (जिसे यूनाइटेड नेशंस कमीशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड लॉ के नाम से जाना जाता है) पेश किए जाने के बाद सूचना तकनीक क़ानून, 2000 को पेश करना अनिवार्य हो गया था. संयुक्त राष्ट्र की इस