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Showing posts from February, 2014

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं :-

हम सब क सब हमार... स्व. बाबू सागर सिंह (अधिवक्ता)

जब-जब सामुहिक हित के ऊपर व्यक्तिगत हित हावी होगा, तब-तब विचारों एवं भाषा में दोष पैदा होगा ॥ " हम सब क सब हमार ..." स्व. बाबू सागर सिंह (अधिवक्ता) समाजवाद की यह परिभाषा स्व. बाबू सागर सिंह (अधिवक्ता) ने अपनी मृत्यु दिनांक २४-०२-२००८ की पूर्व संध्या पर अपने भतीजे श्री विनोद सिंह (अधिवक्ता) के सम्मुख प्रकट किया था।  समाजवाद की यह लघु परिभाषा आज के सभी समाजवादी शायद भूल चुके है। तभी तो समाजवादी विचार धारा अब प्रासंगिक नहीं है।

हरिवंशराय जी की महान प्रेरणा दायक रचना...!!!

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है। आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है, जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है। मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.....। मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो। जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम। कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। --हरिवंशराय बच्चन

सावधान भारत सावधान...!!! चुनाव सिर पर हैं...!!!

जातिवाद हमारे देश की सबसे बड़ी बीमारी है, यह भ्रष्टाचार से भी बड़ी बीमारी है। कुछ दूषित मानसिकता के लोग और नेता अपने निजी स्वार्थ में जातिवाद को हवा देते है।  क्या 21 वी सदी में जातिवाद का कोई महत्त्व है ?  मेरे विचारों के अनुसार जातिवाद का कोई महत्त्व नहीं है।   दूषित मानसिकता के लोग और नेता चुनाव जीतने के लिए और अपना महत्व बनाये रखने के लिए जाति के नाम पर वर्षों से पूरे देश को गुमराह कर रहे हैं और फिर चुनाव सिर पर हैं...!!!  अतः   सावधान भारत सावधान……!!! जातिवाद ही नहीं ये दूषित मानसिकता के लोग और नेता धर्म एवं क्षेत्रवाद के नाम पर अपनी राजनैतिक इच्छाओं को पूरा करने की आस में हैं। अतः   सावधान भारत सावधान……!!! संत कबीर ने इस सत्य को कई सदी पूर्व अपनी एक रचना में कह दिया था, संत कबीर की उस रचना का शीर्षक है "साधो, देखो जग बौराना"।   साधो, देखो जग बौराना । साँची कही तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना । हिन्दू कहत, राम हमारा, मुसलमान रहमाना । आपस में दौऊ लड़ै मरत हैं, मरम कोई नहिं जाना । बहुत मिले मोहि नेमी, धर्मी, प्रात करे असनाना । आतम-छाँड़ि पषानै पूजै, तिनक