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Showing posts from February, 2015

उ. प्र. बार काउंसिल का कार्य से विरत - 27/2 डी.एम./एस.डी.एम. काे ज्ञापन :-

बार काउंसिल अॉफ उत्तर प्रदेश द्वारा तिथि 27/2/2015 काे विराेध दिवस के रूप में एक दिन का कार्य से विरत प्रस्तावित किया गया जिसमें अधिवक्ता कल्याण हेतु माननीय मुख्यमंत्री काे ज्ञापन डी.एम. अथवा एस.डी.एम. के माध्यम से प्रेषित करना है। कार्य से विरत में न्यायालयों के साथ-साथ हर जिले के रजिस्ट्री अॉफिस, वाणिज्य कर विभाग, आयकर विभाग, फाेरम एवं समस्त सरकारी विभागों में भी हम सभी अधिवक्ताआें काे कार्य से विरत रहना समय की मांग है। आर्थिक हानि सरकार काे हम अधिवक्ताआें के कल्याण की याेजना काे लागू करने के लिए प्रेरित करेगी। इस संदेश काे उत्तर प्रदेश के सभी अधिवक्ताआें के मध्य पहुंचा दे ताकि बार काउंसिल का यह आवाहन पूरा हाे सके। हम अधिवक्ता दूसराें के अधिकाराें के लिए ताे सदैव लड़ते है परन्तु यह समय पुरानी बातों काे भूलकर बार काउंसिल अॉफ उत्तर प्रदेश के आंदोलन का समर्थन करते हुए समग्र अधिवक्ता कल्याण में कल 27/02/2015 काे कलम-बंद कार्य से विरत रहिए। धन्यवाद। निवेदक- आपका अंशुमान दुबे (अधिवक्ता) पूर्व उपाध्यक्ष, दी बनारस बार एसाेसिएशन, वाराणसी। नाेट:- मेरा अपना व्यक्तिगत विचार है कि, "

रामचन्द्र कह गए सिया से:-

राजेंद्र कृष्ण द्वारा रचित गोपी फिल्म का यह  गीत  कितना प्रासंगिक है...!!! हे रामचन्द्र कह गए सिया से  आइसा  कलजुग आएगा  हंसा चुगेगा दाना दुन्न्का कौव्वा मोती खाएगा  सिया ने पूछा, "क्या कलजुग में धरम करम को कोई नहीं मानेगा?" तो प्रभु बोले :- धरम भी होगा, करम भी होगा  परंतु शर्म नहीं होगी  बात बात पर मात पिता को  लड़का आँख दिखाएगा  राजा और प्रजा दोनों में  होगी निस दिन खींचातानी  कदम कदम पर करेंगे दोनों  अपनी अपनी मन मानी  जिसके हाथ में होगी लाठी  भैंस वही ले जाएगा  सुनो सिया कलजुग में काला धन और काले मन होंगे  चोर उचक्के नगर सेठ और प्रभु भक्त निर्धन होंगे  जो होगा लोभी और भोगी वो जोगी कहलाएगा  मंदिर सूना सूना होगा भरी रहेंगी मधुशाला  पिता के संग संग भरी सभा में नाचेगी घर की बाला कैसा कन्यादान पिता ही कन्या का धन खाएगा मूरख की प्रीत बुरी जुए की जीत बुरी  बुरे संग बैठ चैन भागे ही भागे  काजल की कोठारी में कैसे ही जतन करो  काजल का दाग भाई लागे ही लागे  कितना जती हो कोई कितना सती हो कोई  कामनी के संग काम जागे ही जागे  सुनो कहे गोपी राम जिसका है रामकाम

बार काउंसिल के सारे सदस्य आंदोलन में शामिल नहीं, क्याें...???

क्या बात है, आज के आंदोलन में... जागृति उत्तम है। परन्तु लगता है कि बार काउंसिल के सारे सदस्य आंदोलन में शामिल नहीं हैं, क्योंकि कई सदस्य आंदोलन में उपस्थित नहीं थे। प्रश्न यह उठता है कि, "क्या इस आंदोलन के लिए बार काउंसिल के 25 सदस्य एक मत हैं...???" * यदि एक मत नहीं हैं ताे फिर, हाे चुका अधिवक्ता कल्याण * परन्तु हम उम्मीद का दामन नहीं छाेड़ेगें आैर पुनः 27/2 काे आंदोलन करेंगे। अगर किन्हीं कारणों से बार काउंसिल ने आंदोलन काे निरस्त न किया ताे। हम अधिवक्ताआें की मांगे समय के अनुसार सही है,  अब अंग्रेजाें के जमाने की तरह पैसे वाले घराें से लड़के वकालत के पेशे में नहीं आते, अब ताे हर वर्ग, हर धर्म, हर जाति के लड़के लड़कियां आ रहे हैं। इसलिए निम्न मांगाे का पूरा हाेना अति आवश्यक है। सभी अधिवक्ता मित्रों काे 20/2 के विराेध दिवस में सहयाेग के लिए काेटिश: धन्यवाद। 27/2 काे आंदोलन करना है, पूरी क्षमता के साथ। मित्रों आपका सहयोग अति आवश्यक व समय की मांग है। जागरूक हाे आैर अन्य मित्रों काे भी जागरूक करें।

उ. प्र. बार काउंसिल का विराेध दिवस - 20/2 कार्य से विरत :-

बार काउंसिल अॉफ उत्तर प्रदेश द्वारा तिथि 20/2/2015 काे विराेध दिवस के रूप में एक दिन का कार्य से विरत प्रस्तावित किया गया है। कार्य से विरत में न्यायालयों के साथ-साथ हर जिले के रजिस्ट्री अॉफिस, वाणिज्य कर विभाग, आयकर विभाग, फाेरम एवं समस्त सरकारी विभागों में भी हम सब अधिवक्ताआें काे कार्य से विरत रहना समय की मांग है। आर्थिक हानि सरकार काे हम अधिवक्ताआें के कल्याण की याेजना काे लागू करने के लिए प्रेरित करेगी। इस संदेश काे उत्तर प्रदेश के सभी अधिवक्ताआें के मध्य पहुंचा दे ताकि बार काउंसिल का यह आवाहन पूरा हाे सके। हम अधिवक्ता दूसराें के अधिकाराें के लिए ताे सदैव लड़ते है परन्तु यह समय पुरानी बातों काे भूलकर बार काउंसिल अॉफ उत्तर प्रदेश के आंदोलन का समर्थन करते हुए समग्र अधिवक्ता कल्याण में कल 20.02.2015 काे कलम-बंद कार्य से विरत रहिए। धन्यवाद। निवेदक- आपका अंशुमान दुबे (अधिवक्ता) पूर्व उपाध्यक्ष, दी बनारस बार एसाेसिएशन, वाराणसी।

काशी बाबा की धराेहर :-

सर्वप्रथम सभी सुधी पाठकाें व मित्राें काे महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। हर हर महादेव। नमाे नमाे महादेव। सम्पूर्ण काशी व काशीवासी आदि गुरू बाबा विश्वनाथ की धराेहर हैं। अब हमें सम्पूर्ण भारत के साथ मिलकर बाबा के मन्दिर (श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर) काे 'राष्ट्रीय धराेहर' बनाना है आैर इस कार्य सिद्धि के लिए हमें हर आंदोलन का पूर्ण समर्थन करना चाहिए। गुरू का मैं बन्दा, गुरू मेरा ईश्वर, गुरू महाराज हैं, गुरू की मैं धराेहर। हर हर महादेव। बम बम बाेल रहा काशी। इस विषय पर दी बनारस बार एसाेसिएशन, वाराणसी ने प्रस्ताव पारित किया है। श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर काे राष्ट्रीय धराेहर बनाने के लिए पूर्व मंत्री श्री शतरूद्र प्रकाश आंदोलनरत हैं। मैं उनका समर्थन कर रहा हूँ आैर सभी से उनका समर्थन करने का आवाहन इस पाेस्ट के माध्यम से कर रहा हूँ। आइये मिलकर बाबा के दरबार काे राष्ट्रीय धराेहर बनाने का प्रयास करें।

सावधान जनता "वाेट की ताक़त" जान चुकी है :-

वर्ष 2014 लाेकसभा आैर 2015 दिल्ली चुनाव ने यह साबित कर दिया कि तंत्र कितना भी भ्रष्ट हाे जाये, परन्तु भारत में गणतन्त्र की जड़े बहुत गहरी हैं। लाेकतन्त्र में जब जनता वाेट की चाेट पर आती है ताे बड़े-बड़े नेता आैर अहंकारी प्रशासक सत्ता विहीन हाेकर अस्तित्व की लड़ाई में व्यस्त हाेने काे मजबूत हाे जाते हैं। जनता सिर्फ काम चाहती है आैर अब वाे माैके पर सही उत्तर देने का तरीका जान चुकी है। यह जनता अगर मूड में आ गयी ताे किसी  चुनाव में यह भी हाेगा कि सारी जनता NOTA पर वाेट देकर चली आयेगी। सावधान जनता "वाेट की ताक़त" जान चुकी है। हम वाेट की चाेट करते रहेंगें।

परिवर्तन के दाैर में भारतीय समाज :-

परिवर्तन के दाैर में भारतीय समाज है आैर उसका असर राजनीति पर भी पड़ रहा है। 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, जाे काम चाहती है काेरे वादे नहीं, यह है 21वीं सदी का भारतीय लाेकतन्त्र। सभी सत्ताधारी पार्टियों के नेताओं से सविनय निवेदन है कि कृपया काम करें आैर चुनावी वादाें काे पूरा करने का उचित प्रयास करें अन्यथा एक काे 60 साल के सत्ता के बदले शून्य (0) मिला है आैर दूसरे काे नाै माह की सत्ता पर तीन (3), वाह मेरे भारतीय भाइयाें आैर बहनाें आपने ताे साबरमती के संत जैसा कमाल कर दिया। बनारसी अंदाज में कहूं ताे, "बा रजा दिल्ली बा, ऐके कहल जाला वाेट क चाेट, कुछ लाेग त सहरावे लायक भी नाही बचलन आैर कुछ लाेग बचल हुअन त खाली खुजावे खातिर। त्रिभुज बना के एक दूजे क खुजावा।"

कफ़न भी चन्दे से :-

No.1 - राेटी No.2 - कपड़ा No.3 - मकान युवा व वृद्ध अधिवक्ता के लिए राेटी... व कपड़ा अति आवश्यक है। वह प्राप्त हाेगा Stipend आैर  Pension से... मकान (अधिवक्ता पुरम) ताे स्वाभाविक रूप से No. 3 पर है, यह अवश्य हाेना चाहिए परन्तु शर्त इतनी है, राेटी व कपड़े के बाद...!!! मैं ताे उनकी बात कर रहा हूँ, जिनके मरने पर कफ़न भी चन्दे से आता है। साथ में उनकी बात कर रहा हूँ जिन्होंने किसी दुर्घटना के कारण  विकलांगता के बाद वकालत छाेड़ दी हाे आैर आजीविका काेई साधन न हाे। साथ में उन युवाओं की बात कर रहा हूँ जाे आर्थिक कारणों से वकालत जैसे गरिमापूर्ण पेश काे छाेड़कर दूसरे राेजगार करने काे मजबूत हाेते हैं। वकालत पेश में आज 15 से 20 प्रतिशत युवा आ रहे हैं जबकि वर्तमान में भारत की 65 प्रतिशत जनता 35 वर्ष से कम उम्र की हैं। यह विचारणीय है। ना जनाब मैं आपकी बात नहीं कर रहा हूँ। मैं ताे उनकी बात कर रहा हूँ जिनके मरने पर कफ़न भी चन्दे से आता है। प्रदेश सरकार (स.पा.) आैर केन्द्र सरकार (भा.ज.पा.) ने 2012 विधानसभा चुनाव में किया था पर कुछ नहीं किया। बार काउंसिल व बार एसाेसिएशन संघर्ष कर रहें हैं आंदोल