Social media i.e. facebook पर प्रश्न पूछ कर व smart city पर चर्चा कर, किसे बेवकूफ बनाने का प्रयास हो रहा है...???
काशी को smart city बनाने को जिम्मेदार नेता व अधिकारी के घर, गाड़ी, परिवार, रिश्तेदार मित्र व चेले सब रिश्वत के पैसे से जब तक smart बनते रहेंगे, तब तक मेरी प्यारी काशी (Varanasi) कभी smart नहीं बन पायेगी।
मैं स्वयं सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के सभागार में उपस्थित था जब काशी को smart city बनाने के प्रयास कर रहे, नगर आयुक्त के नेतृत्व में, निम्न दर्जें का presentation दिया गया था।
आप लोगों ने काशी को smart तो बनाया नहीं, पर गंदगी में निम्नत्म रैंक लेकर अपनी कार्यशैली का परिचय तो सबको अवश्य करा दिया। इसके लिए आपसब धन्यवाद व बधाई के पात्र हैं।
तर्क भी तैयार है जनता का सहयोग नहीं मिलता। यहाँ एक बात स्पष्ट करना है कि जो विभाग और उसके अधिकारियों व कर्मचारियों ने जनता का विश्वास खो दिया हैं तथा जिनमें पद के प्रति निष्ठा ही न हो ऐसे नेता, अधिकारियों व कर्मचारियों का जनता सहयोग करें भी तो किस उम्मीद में धोखा खाने के लिए..???
बड़ी उम्मीद से हम काशीवासियों ने सांसद नहीं प्रधानमंत्री चुना था 2 साल होने को आये, पर सब जहां था वहीं है। इस आखिरी उम्मीद पर भी लगता है कि चूना लग गया। मजेदार बात यह है कि सारे राजनीतिक दल व सामाजिक संस्थान इन बातों का विरोध सिर्फ रसम अदायगी तक ही करते हैं इस उम्मीद में की शायद हम अगली बार सत्ता में आ गये तो हम भी तो यही करेंगे जो अभी वाले कर रहें हैं। इसलिए विरोध भी भविष्य को देखकर करो।
सही कहा था उस विदेशी ने पूरी काशी भगवान भरोसे चल रही है।
#AdvAnshuman
#भारतमेराधर्म
#smartcity
एक तर्क हमेशा दिया जाता है कि अगर बाबर ने राम मंदिर तोड़ा होता तो यह कैसे सम्भव होता कि महान रामभक्त और राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास इसका वर्णन पाने इस ग्रन्थ में नहीं करते ? ये बात सही है कि रामचरित मानस में गोस्वामी जी ने मंदिर विध्वंस और बाबरी मस्जिद का कोई वर्णन नहीं किया है। हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने इसको खूब प्रचारित किया और जन मानस में यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि कोई मंदिर टूटा ही नहीं था और यह सब झूठ है। यह प्रश्न इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष भी था। इलाहाबाद उच्च नयायालय में जब बहस शुरू हुयी तो श्री रामभद्राचार्य जी को Indian Evidence Act के अंतर्गत एक expert witness के तौर पर बुलाया गया और इस सवाल का उत्तर पूछा गया। उन्होंने कहा कि यह सही है कि श्री रामचरित मानस में इस घटना का वर्णन नहीं है लेकिन तुलसीदास जी ने इसका वर्णन अपनी अन्य कृति 'तुलसी दोहा शतक' में किया है जो कि श्री रामचरित मानस से कम प्रचलित है। अतः यह कहना गलत है कि तुलसी दास जो कि बाबर के समकालीन भी थे,ने राम मंदिर तोड़े जाने की घटना का वर्णन नहीं किया है और जहाँ तक राम चरित मानस
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