Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2019

उच्चतम न्यायालय ख़तरे में! अब कोई संस्थान नहीं बचा!"

माननीय उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आदरणीय श्री रंजन गोगोई जी का बयान, "उच्चतम न्यायालय ख़तरे में! अब कोई संस्थान नहीं बचा!" मैं यह नहीं जानता कि, न्यायमूर्ति गोगोई साहब गलत हैं। मैं यह भी नहीं जानता कि, आरोप लगाने वाली महिला सच बोल रही है। लेकिन वकालत जीवन के सोलह साल में मैंने यह अनुभव जरुर किया कि, जिस प्रकार का आरोप गोगोई साहब पर लगाया गया, वह असाधारण आरोप है। भारतीय न्यायपालिका की सर्वोच्च सत्ता को भी उस सामान्य भारतीय की तरह सड़क पर ला खड़ा कर  दिया जो इस प्रकार के आरोपों से रोजाना दो चार होते रहते हैं। मित्रता सूची में मेरे साथ कई न्यायाधीशगण भी जुड़े हैं और गोगोई साहब पर लगे इस प्रकार के आरोप से हथप्रभ भी हुए होंगे। होना भी लाजिमी है। सवाल उनके शीर्ष अधिकारी के सम्मान का जो है लेकिन जब यही आरोप किसी राजनीतिक षड्यंत्र के तहत, किसी जमीनी विवाद के तहत अथवा किसी प्रतिशोध की भावना के तहत एक सामान्य जीवन जीने वाले इंसान पर लगता है तो इसका दर्द वह आरोपी व्यक्ति, उसका परिवार, उससे जुड़े लोग महसूस कर सकते हैं। भारतीय न्यायपालिका कत्तई यह मीमांसा करने का जहमत नहीं उठाती