Friday, 15 July 2016

वकीलों का काला कोट गुलामी का प्रतीक:-

हिंदुस्तान की न्याय व्यवस्था में काम करने वाले जो एडवोकेट मित्र हैं। उनसे और अपने आपसे माफ़ी मांगते हुए आप सबसे ये पूछता हूँ कि - क्या आप जानते हैं, यह काला कोट पहन के अदालत में क्यों जाते हैं? क्या काले को छोड़ के दूसरा रंग नहीं है भारत में? सफ़ेद नहीं है। नीला नहीं है। पीला नहीं है। हरा नहीं है? और कोई रंग ही नहीं है। काला ही कोट पहनना है। वो भी उस देश की न्यायपालिका में जहाँ तापमान 45 डिग्री हो। तो 45 तापमान जिस देश में रहता हो। वहाँ के वकील काला कोट पहन के बहस करें। तो बहस के समय जो पसीना आता है। वो और गर्मी के कारण जो पसीना आता है वो। तरबतर होते जायें। और उनके कोट पर पसीने से सफ़ेद सफ़ेद दाग पड़ जायें। पीछे कालर पर और कोट को उतारते ही इतनी बदबू आये कि कोई तीन मीटर दूर खिसक जाये। लेकिन फिर भी कोट का रंग नही बदलेंगे। क्योंकि ये अंग्रेजों का दिया हुआ है।
आपको मालूम है। अंग्रेजो की अदालत में काला कोट पहन के न्यायपालिका के लोग बैठा करते थे। और उनके यहाँ स्वाभाविक है । क्योंकि उनके यहाँ न्यूनतम -40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होता है। जो भयंकर ठण्ड है। तो इतनी ठण्ड वाली देश में काला कोट ही पहनना पड़ेगा। क्योंकि वो गर्मी देता है। ऊष्मा का अच्छा अवशोषक है। अन्दर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देता। और बाहर से गर्मी को खींच के अन्दर डालता है। इसीलिए ठण्ड वाले देश के लोग काला कोट पहन के अदालत में बहस करें। तो समझ में आता है। पर हिंदुस्तान के गरम देश के लोग काला कोट पहन के बहस करें। 1947 के पहले होता था। समझ में आता है। पर 1947 के बाद भी चल रहा है? हमारी बार काउन्सिल को इतनी समझ नहीं है क्या? कि इस छोटी सी बात को ठीक कर लें। बदल लें। सुप्रीम कोर्ट की बार एसोसिएशन है। हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की बार एसोसिएशन है। सभी बार एसोसिएशन व बार काउन्सिल अॉफ इंडिया मिल के एक मिनट में फैसला कर सकते हैं कि कल से हम ये काला कोर्ट नहीं पहनेंगे।
हमारे देश पहले अंग्रेज न्यायाधीश हुआ करते थे, तो सर पर टोपा पहन के बैठते थे। जिसमें नकली बाल होते थे। आज़ादी के बाद 40-50 साल तक टोपा लगा कर यहाँ बहुत सारे जज बैठते रहे, देश की अदालत में।
अभी यहाँ क्या विचित्रता है कि काला कोट पहन लिया। ऊपर से काला पेंट पहन लिया। बो लगा लिया। सब एकदम टाइट कर दिया। हवा अन्दर बिलकुल न जाये। फिर मांग करते है कि सभी कोर्ट में एयर कंडीशनर होना चाहिए। ये कोट उतार के फेंक दो न। एयर कंडीशन की जरुरत क्या है? और उसके ऊपर एक गाउन और लाद लेते हैं। वो नीचे तक लहंगा फैलता हुआ। ऐसी विचित्रताएं इस देश में आज़ादी के 70 साल होने को हैं इसके बाद भी वकीलों का काला कोट चल व दिखाई दे रहा है।
अंग्रेजों की गुलामी की एक भी निशानी को आज़ादी के 68 साल में हमने मिटाया नहीं। सबको संभाल के रखा है।
#AdvAnshuman

Monday, 11 July 2016

ढ़ाई आखर प्रेम का :: डॉ. जाकिर नायक

विगत दो दिनों में तथाकथित धर्मगुरु डॉ. जाकिर नायक के youtube video देखा, सुना व समझा तो महसूस हुआ कि डॉ. साहब हर चीज़ का reference देते हैं... कुरान का फला पृष्ठ, वेद का फला पृष्ठ, बाइबल का फला पृष्ठ.. आदि आदि।
और तो और सारी तकरीरें/भाषण अंग्रेजी भाषा में... क्या देश का मुसलमान इतना शिक्षित हो चुका है..???
हमारे लाखों गरीब मुसलमान भाइयों का क्या...??? पहले वे अंग्रेजी सीखे तब ना, डॉ. साहब समझ में आयेंगें।
इन सब पर मेरे प्यारे फकीर "कबीर" ने बहुत पहले कह दिया था, जो डॉ. जाकिर नायक को श्रद्धा पूर्वक स्वरुप समर्पित है...
"पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढ़ाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंड़ित होय॥"
#AdvAnshuman
#भारतमेराधर्म

न्यायिक अधिकारियों के कितने पद खाली हैं, भारत में (as on 20.03.2025) by #Grok

भारत में न्यायिक अधिकारियों के रिक्त पदों की संख्या समय-समय पर बदलती रहती है, क्योंकि यह नियुक्तियों, सेवानिवृत्ति, और स्वीकृत पदों की संख्य...