धनवान के पास न्याय पाने के अनेकों साधन है, यह कथन सत्य है। इसपर काेई विवाद न था आैर ना ही है।
परन्तु उनका क्या जाे संसाधनों के लिए संघर्ष कर रहे हैं...???
मेरे विचार में अंग्रेजाें के द्वारा बनाये गये कानून सामन्तवाद की साेच से उत्पन्न हुये हैं आैर यह सामन्तवादी साेच आजतक हमारे सिस्टम पर हावी है। तभी ताे जिसकाे भारतीय गणतंत्र में सेवक (नेता व अधिकारी) कहा जाता है, वाे लाल नीली पीली बत्ती वाली गाड़ी में घूमता है आैर जिसकाे मालिक (मतदाता) कहा तथा समझा जाता है वह किस हाल में है... यह बताना आवश्यक नहीं है।
न्याय आैर न्यायालय पर सबका हक है, यह किताबाें में अंकित है। परन्तु भारत की यह विडम्बना है कि यह हकीकत नहीं है।
पर हम भारतीय सदैव कहते रहेंगे कि हमें भारत पर नाज़ है।
जय भारत जय गणतन्त्र।
Monday, 18 February 2019
न्याय और न्यायालय पर सबका हक है???
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