Tuesday, 15 September 2015

सूचना का अधिकार ने आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है:- 

सूचना का अधिकार अधिनियम - 2005 (आई.टी.आई.) ने हम लाेगाें और आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह कानून देश में 2005 में लागू हुआ। इस कानून का उपयोग करके आप किसी भी विभाग या सरकारी महकमे से संबंधित अपने काम की जानकारी पा सकते हैं। लेकिन आज हम आपको इसके बारे में कुछ रोचक जानकारी देने जा रहे हैं।

आई.टी.आई. से आप सरकार से कोई भी सवाल पूछ सकते हैं। किसी भी दस्तावेज की जांच कर सकते हैं। आर.टी.आई. से आप दस्तावेज या डाक्यूमेंट्स की प्रमाणित कॉपी ले सकते हैं। सरकारी कामकाज में इस्तेमाल सामग्री का नमूना भी ले सकते हैं। 

कुछ लोगों का सवाल आया है कि, आर.टी.आई. में कौन-कौन सी धारा हमारे काम की हैं? 
तो वो इस प्रकार है-
धारा 6 (1)- आर.टी.आई. का ऐप्लीकेशन लिखने की धारा।
धारा 6 (3)- अगर आपका ऐप्लीकेशन गलत विभाग मे चला गया है तो गलत विभाग इसको 6 (3) धारा के अंतर्गत सही विभाग में 5
दिन के अंदर भेज देगा।
धारा 7(5)- इस धारा के अनुसार BPL कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नहीं देना होता।
धारा 7 (6)- इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन में नहीं आता है तो सूचना फ्री में दी जाएगी।
धारा 18- अगर कोई अधिकारी जवाब नहीं देता तो उस की शिकायत सूचना अधिकारी को दी जाये।
धारा 8- इस के अनुसार वो सूचना आर.टी.आई. में नहीं दी जाएगी, जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हो या विभाग की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो।
धारा 19 (1)- अगर आपकी आर.टी.आई. का जवाब 30 दिन में नही आता है तो इस धारा के अनुसार आप प्रथम अपील अधिकारी को प्रथम अपील कर सकते हो।
धारा 19 (3)- अगर आपकी प्रथम अपील का भी जवाब नहीं आता है तो आप इस धारा की मदद से 90 दिन के अंदर दूसरी अपील अधिकारी को अपील कर सकते हैं। 
इसके लिए आप एक सादा पेपर लें और उसमें एक इंच की कोने से जगह छोड़े और नीचे दिए गए प्रारूप में अपने आरटीआई लिख लें-
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सूचना का अधिकार 2005 की धारा 6(1) और 6(3) के अंतर्गत आवेदन :-
सेवा में
(अधिकारी का पद)
जन सूचना अधिकारी---------------
विभाग का नाम-------------------
विषय - आर.टी.आई. एक्ट-2005 के अंतर्गत .................. से संबधित सूचनाएं
1- अपने सवाल यहां लिखें-
2-
3-
4-
मैं आवेदन फीस के रूप में 10 रुका पोस्टल ऑर्डर ........ संख्या अलग से जमा कर रहा / रही हूं या मैं बी.पी.एल. कार्ड धारी हूं इसलिए सभी देय शुल्कों से मुक्त हूं। मेरा बी.पी.एल. कार्ड नं..............है।
यदि मांगी गई सूचना आपके विभाग/ कार्यालय से सम्बंधित नहीं हो तो सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6 (3) का संज्ञान लेते हुए। मेरा आवेदन सम्बंधित लोक सूचना अधिकारी को पांच दिनों के समयाविध् के अन्तर्गत हस्तान्तरित करें। साथ ही अधिनियम के प्रावधानों के तहत सूचना उपलब्ध् कराते समय प्रथम अपील अधिकारी का नाम व पता अवश्य बतायें।
भवदीय:
नाम:
पता:
फोन नं:
.............................................
ये सब लिखने के बाद अपना हस्ताक्षर करें। अब मित्रो केंद्र से सूचना मांगने के लिए आप 10 रुपया और एक पेपर की कॉपी मांगने के 2 रु देते है और हर राज्य का आरटीआई शुल्क अगल-अलग है। जिसका पता आप कर सकते हैं।

Wednesday, 9 September 2015

प्रदेश सरकार द्वारा मृत अधिवक्ताओं के परिजनों काे 12.09.2015 काे 5 लाख की सहायता राशि दी जायेगी:-

यह ताे अच्छी पहल है, जिसे काफी संघर्ष और बलिदान के बाद हम अधिवक्ताओं ने प्राप्त किया है। आश्चर्य की बात यह है कि, सिर्फ 17 लाेगाें काे चेक दिया जायेगा। जबकि 20 कराेड़ रूपये इस कार्य के लिए आबंटित है। अर्थात 400 मृत अधिवक्ताओं के परिजन लाभान्वित हाे सकते हैं।
ताे फिर सिर्फ 17 क्याें...??? यह बार काउंसिल के सदस्याें व महाधिवक्ता काे स्पष्ट करना चाहिए।
क्या वाराणसी के किसी मृत अधिवक्ता के परिजन काे भी 5 लाख का चेक मिल रहा है...???
यह प्रश्न इसलिए क्योंकि वाराणसी से तीन सदस्य बार काउंसिल अॉफ उत्तर प्रदेश में हैं और वे मृतक अधिवक्ताओं के प्रति जवाबदेह भी माने जा सकते हैं, यदि वे ऐसा समझते हाे ताे।

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