Thursday, 28 October 2021
Sunday, 29 August 2021
चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-
Tuesday, 17 November 2020
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Sunday, 30 August 2020
Herd Immunity (झुंड उन्मुक्ति)
हाल ही में ब्रिटिश सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने ब्रिटेन में तेज़ी से फैल रही COVID-19 की चुनौती से निपटने के लिये हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) के विकल्प को अपनाने के संकेत दिये हैं।
क्या है हर्ड इम्युनिटी?
(Herd Immunity = झुंड उन्मुक्ति)
- हर्ड इम्युनिटी से आशय- “किसी समाज या समूह के कुछ प्रतिशत लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के माध्यम से किसी संक्रामक रोग के प्रसार को रोकना है।”
- इस प्रक्रिया को अपनाने के पीछे अवधारणा यह है कि यदि पर्याप्त लोग प्रतिरक्षित (Immune) हों तो किसी समाज या समूह में रोग के फैलने की शृंखला को तोड़ा जा सकता है और इस प्रकार रोग को उन लोगों तक पहुँचाने से रोका जा सकता है, जिन्हें इससे सबसे अधिक खतरा हो या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।
हर्ड इम्युनिटी कैसे काम करती है?
- किसी संक्रामक बीमारी के प्रसार और उसके लिये आवश्यक प्रतिरक्षा सीमा का अनुमान लगाने के लिए महामारी वैज्ञानिक (Epidemiologists) एक मानक का उपयोग करते हैं जिसे ‘मूल प्रजनन क्षमता’ (Basic Reproductive Number-R0) कहा जाता है।
- यह बताता है कि किसी एक मामले या रोगी के संपर्क में आने पर कितने अन्य लोग उस रोग से संक्रमित हो सकते हैं।
- 1 से अधिक R0 होने का मतलब है कि एक व्यक्ति कई अन्य व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है।
- वैज्ञानिक प्रमाण के अनुसार, खसरे (Measles) से पीड़ित एक व्यक्ति 12-18 अन्य व्यक्तियों जबकि इन्फ्लूएंजा (Influenza) से पीड़ित व्यक्ति लगभग 1-4 व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है।
- वर्तमान में चीन से उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि COVID-19 का R0 2 से 3 के बीच हो सकता है।
- कोई भी संक्रमण किसी समाज/समूह में तीन प्रकार से फैल सकता है:
- पहली स्थिति में जहाँ समूह में किसी भी व्यक्ति का टीकाकरण न हुआ हो ऐसे समूह में यदि 1 गुणांक वाले R0 के दो मामले आते हैं तो ऐसे में वह पूरा समुदाय संक्रमित हो सकता है।
- दूसरी स्थिति में यदि किसी समूह के कुछ ही लोगों का टीकाकरण हुआ हो तो उन लोगों को छोड़कर समूह के अन्य लोग संक्रमित हो सकते हैं।
- परंतु यदि किसी समूह में पर्याप्त लोग प्रतिरक्षित हों तो ऐसी स्थिति में समूह के वही लोग संक्रमित होंगे जो बहुत ही कमज़ोर होंगे या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत ना हो।
हर्ड इम्युनिटी कैसे प्राप्त की जा सकती है?
- विशेषज्ञों के अनुसार हर्ड इम्युनिटी की सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे-संक्रमण के बचाव के लिये दिये जाने वाले टीके का प्रभाव, संक्रमण और टीके के प्रभाव की अवधि और समूह का वह भाग जो संक्रमण के प्रसार के लिये उत्तरदाई हो आदि।
- गणितीय रूप में इसे एक निश्चित संख्या से निर्धारित किया जाता है, जिसे ‘समूह प्रतिरक्षा सीमा’ (Herd Immunity Threshold) कहा जाता है। यह उन लोगों की संख्या को दर्शाता है जिन पर संक्रमण का प्रभाव और संचार नहीं हो सकता।
- पोलियो के लिये यह सीमा 80-85% जबकि खसरे के लिये 95% है। वर्तमान में उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर COVID-19 के लिये यह सीमा लगभग 60%है अर्थात किसी समूह में COVID-19 के प्रति हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करने हेतु समूह के 60% लोगों का प्रतिरक्षित होना आवश्यक है।
COVID-19 से निपटने में हर्ड इम्युनिटी की चुनौतियाँ:
- विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में अधिक जानकारी के अभाव में प्रतिरक्षा प्राप्त करने के लिये समाज के अधिक लोगों को COVID-19 से संक्रमित होने देना जोखिम भरा कदम होगा।
- इतनी बड़ी मात्रा में लोगों में COVID-19 के प्रति प्रतिरक्षा के विकास में बहुत समय लग सकता है, जिससे कई खतरे हो सकते हैं, विशेषकर जब हमें पता यह है कि हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी सह-रुग्णता (Co-morbidities) वाले लोग इस संक्रमण से सबसे अधिक असुरक्षित हैं।
- इस प्रक्रिया में उन्ही लोगों में प्रतिरक्षा का विकास हो सकता है जो एक बार संक्रमित होकर संक्रमण से मुक्त हो सके। परंतु COVID-19 के संदर्भ में इस प्रक्रिया की सफलता के कोई प्रमाण नहीं हैं और न ही यह सुनिश्चित किया जा सका है कि एक बार ठीक होने के बाद कोई व्यक्ति पुनः इस रोग से संक्रमित नहीं होगा।
- इस प्रक्रिया में पहले से ही दबाव में कार्य कर रहे स्वास्थ्य केंद्रों पर बोझ और बढ़ जाएगा जो इस आपदा के समय में सही निर्णय नहीं होगा।
स्रोत: द इंडियन एक्प्रेस
Tuesday, 30 June 2020
अधिवक्ता, वाराणसी कचहरी और #कोरोना:-
#लाॅकडाउन #आत्मनिर्भरता #दानदाता #राशनपैकट #आर्थिकसहायता #अनलॉक और रोज़ रोज़ बदलते नियम कानून के फेर में 22 मार्च 2020 से 30 जून 2020 का 101 दिन #लाॅकडाउन और #अनलाॅक में बीत गये, यानि कि 2020 का 1/3 समय व्यर्थ चला गया।
और इन 101 दिनों में वकीलों पर उधार बहुत हो गया होगा..??
कठोरतम संघर्ष की स्थिति आ रही है। सरकारों ने अधिवक्ता समाज को #आत्मनिर्भर मान लिया है अतः #कोरोनाकाल में किसी प्रकार की सहायता नहीं दी और न ही देने की इच्छा शक्ति दिख रही है।
स्थानीय स्तर पर दानदाताओं की मदद से बार एसोसिएशन ने मात्र 1000-1000 रुपये की आर्थिक सहायता की और एक सम्मानित नेता के प्रयास से राशन का पैकेट कुल 10000+ वकीलों के बीच में 1000+ बार संघ के जरिए बंटा।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश यह दो सर्वोच्च संस्थाओं ने #कोरोनाकाल में अपने आपको पूर्णतया सफेद हाथी साबित कर दिया, किया कुछ नहीं, रोज़ सदस्यों के आपसी विवाद में उलझाकर वकीलों की आर्थिक सहायता के मुद्दे को जानबूझकर भुला दिया।
कुछ संघर्षशील अधिवक्ता साथियों ने उच्च न्यायालय में #PIL दाखिल कर विपरीत परिस्थितियों में अधिवक्ताओं की सहायता का प्रयास किया पर वहां भी बात हलफनामा, उत्तर - प्रतिउत्तर, तारीख, आदि में उलझकर रह गया।
बिना समुचित सुरक्षा व्यवस्था के #अनलाॅक में कचहरी खुल गई और अपनी मजबूरियों का मारा अधिवक्ता पहुंच गया जेल, तलाशने लगा अन्नदाता मुवक्किल को। जिनका नाम है, वे तो वादा करोबार करके मस्त हैं। पर शेष का क्या? वो तो तलाश में लगे हैं। लेकिन अभियुक्त का पैरोकार बेरोजगारी और धनाभाव के कारण पैरवी नहीं कर पा रहा है और ऐसे में वकीलों का काम प्रतीक्षा में चला जा रहा है।
स्थितियां कठोरतम संघर्ष की मांग कर रही है। इन परिस्थितियों में संगठित रहकर संघर्ष करना होगा, व्यक्तिगत स्तर पर परिवार को संगठित रखना होगा और सामाजिक व व्यवसायिक स्तर पर कम ही सही पर सबका सहयोग करके संगठित रहकर विपरीत परिस्थितियों को हराकर आगे की स्थितियों को प्लानिंग के साथ सुधारना होगा।
सादर धन्यवाद, बाबा कृपा
अंशुमान दुबे अधिवक्ता
#श्रद्धाॐसबुरी
विवेकानंद प्रवास स्थल - गोपाल विला, अर्दली बाजार, वाराणसी :: बने राष्ट्रीय स्मारक।
स्वामी विवेकानंद का वाराणसी से गहरा संबंध था। उन्होंने वाराणसी में कई बार प्रवास किया, जिनमें 1888 में पहली बार आगमन और 1902 में अंतिम प्रवा...
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वशिष्ठ जी भगवान श्रीराम के वनवास प्रकरण पर भरत जी को समझाते हैं, इस अवसर पर बाबा तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस की एक चौपाई में...
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एक तर्क हमेशा दिया जाता है कि अगर बाबर ने राम मंदिर तोड़ा होता तो यह कैसे सम्भव होता कि महान रामभक्त और राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलस...
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Link of Bill:- एडवोकेट्स (संशोधन) विधेयक, 2025 का प्रारुप विधेयक का प्रावधान :- विधेयक के प्रमुख प्रावधान विधेयक में बार काउंसिल की संरचना...