अधिवक्ता अब सिर्फ वही रहेंगे जिनका पेशा सिर्फ वकालत है। रजिस्ट्रेशन कराकर दूसरे पेशों से जुड़े या सरकारी नौकरी कर रहे लोगों को बार बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी में है। इसके लिए बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने वेरीफिकेशन के हथियार को इस्तेमाल किया है। छह साल से अधिक समय से रजिस्ट्रेशन कराने वाले अधिवक्ताओं को यह फॉर्म भरना अनिवार्य होगा। वेरीफिकेशन बार कौंसिल खुद कराएगा।
क्यों लिया गया निर्णय:- बार कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा इस प्रक्रिया को शुरू करने का उदेश्य उन्हें चिन्हित करना है जो वकालत के अलावा कुछ नहीं करते। दूसरे पेशे से जुड़े होने के बाद भी वकालत को सुरक्षा कवच के तौर पर इस्तेमाल करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाना है ताकि पूरे देश में वकीलों की छवि बेदाग रहे।
फ्रीमें स्कीम का उठाते हैं लाभ:- अधिवक्तओं के हित में उत्तर प्रदेश सरकार और यूपी बार कौंसिल द्वारा कई योजनाएं चलायी जा रही हैं। इनका लाभ हाईकोर्ट में रजिस्टर्ड अधिवक्ताओं को मिलता है। यूपी प्रदेश सरकार द्वारा अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति का गठन किया गया है। इसके तहत किसी अधिवक्ता की मृत्यु साठ साल के बाद होती है तो उसे सरकार की तरफ से पांच लाख रुपए की धनराशि प्रदान की जाती है। 2008 में वृद्धावस्था योजना भी शुरू कराई थी। इसके तहत 60 से 80 साल की उम्र में किसी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर यूपी बार कौंसिल की तरफ से एक लाख रुपए अधिवक्ता के परिजनों को दिए जाते हैं
नियम 2015 के तहत वेरीफिकेशन:- राज्य विधिज्ञ परिषद् उत्तर प्रदेश से मिली जानकारी के मुताबिक नियम 2015 के तहत ऐसे अधिवक्ता जो पांच साल से यूपी बार कौंसिल में रजिस्टर्ड हैं को वेरीफिकेशन फॉर्म भरना अनिवार्य है। फार्म सी एप्लीकेशन फार रीसब्मिशन केवल उन्हें भरना है जिनका नाम एडवोकेट रोल से हट गया है और वह फिर से अपना नाम जोड़वाना चाहते हैं। फार्म यूपी बार कौंसिल की साइट से डाउनलोड किया जा सकता है। परिषद के काउंटर पर इसे पांच रुपए देकर प्राप्त किया जा सकता है।
क्यों आई यह नौबत:- यूपी बार कौंसिल में कुल साढ़े तीन लाख अधिवक्ता रजिस्टर्ड। नियमानुसार यदि वह प्रैक्टिस नहीं कर रहे हैं तो उन्हें इसकी सूचना बार कौंसिल को देनी चाहिए। वह किसी अन्य रोजगार में लग गए या सरकारी जॉब पा चुके हैं। ऐसे लोग सरकार और बार कौंसिल की स्कीमों का लाभ ले रहे हैं। यूपी बार कौंसिल पर इससे फंड का अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने पांच साल से अधिक समय से रजिस्टर्ड वकीलों का वेरीफिकेशन कराने का फैसला लिया है। इसके जरिए ऐसे अधिवक्ताओं की छानबीन होगी जिन्होंने रजिस्ट्रेशन तो करा रखा है लेकिन वह किसी अन्य पेशे से जुड़े हैं या सरकार जाब कर रहे हैं। इनका रजिस्ट्रेशन समाप्त किया जाएगा।
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