"नफ़रत की राजनीति" एक ऐसा शब्द है जो उन राजनीतिक रणनीतियों और अभियानों को संदर्भित करता है जो विभाजन, भेदभाव और नकारात्मक भावनाओं पर आधारित होते हैं। इस प्रकार की राजनीति में नेता और राजनीतिक दल उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो समाज में ध्रुवीकरण उत्पन्न करते हैं, जैसे कि जाति, धर्म, नस्ल या राष्ट्रीयता।
इस प्रकार की राजनीति के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:-
विभाजनकारी भाषा:- नेताओं द्वारा भाषणों और बयानों में ऐसे शब्दों और वाक्यांशों का उपयोग करना जो समाज के विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य पैदा करते हैं।
संवेदनशील मुद्दों का उपयोग:- विवादास्पद और संवेदनशील मुद्दों को उठाकर जनता की भावनाओं को भड़काना।
भय और असुरक्षा का प्रचार:- समाज के एक वर्ग के प्रति डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देना।
अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना:- अल्पसंख्यक समुदायों को नकारात्मक रूप में प्रस्तुत करना और उनके खिलाफ अभियान चलाना।
समूह पहचान का उभार:- लोगों को उनकी जातीय, धार्मिक या सांस्कृतिक पहचान के आधार पर विभाजित करना।
इस प्रकार की राजनीति समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे सामाजिक सौहार्द्र और एकता कमजोर हो जाती है। नफ़रत की राजनीति का मुकाबला करने के लिए सहिष्णुता, समावेशिता और संवाद को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- अंशुमान दुबे, एडवोकेट
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