कचहरी के भाई बंधुओं (1) ने दी बनारस बार एसोसिएशन वाराणसी के वार्षिक निर्वाचन सत्र 2026 के लिए मेरा नाम "वरिष्ठ उपाध्यक्ष" पद हेतु प्रस्तावित किया है। सभी के प्रस्ताव का सम्मान करते हुए, सत्र 2026 में वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद हेतु मैं अपनी उम्मीदवारी आप सब सम्मानित अधिवक्ता गुरुजनों, बहनों और भाइयों के सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं। अपेक्षा है कि आप सबका स्नेह, आशीर्वाद और अमूल्य मत मुझे अवश्य प्राप्त होगा। सभी का पुनः सादर आभार व धन्यवाद। साथ में नववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। आपका अपना अंशुमान दुबे एडवोकेट पूर्व प्रबंध समिति सदस्य (2010) पूर्व उपाध्यक्ष (2012) - निर्विरोध पूर्व वरिष्ठ प्रबंध समिति सदस्य (2023) - निर्विरोध दी बनारस बार एसोसिएशन, वाराणसी (1) बंधुओं के नाम:- सादर आभार व धन्यवाद, कृतज्ञता सहित! Satyendra Kumar Srivastava Sanjay Kumar Srivastava Mukesh Kumar Vishwakarma मुकेश कुमार विश्वकर्मा Adv Ashish Sonkar Aashish Shakti Tiwari Deepak Mishra Adv Jaiky Shukla Adv Vineet Shukla Vijay Upadh...
न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता के 16 बिंदुओं में से एक यह है कि न्यायाधीश को अपने पद से तब तक कोई वित्तीय लाभ नहीं मांगना चाहिए जब तक कि यह स्पष्ट रूप से उपलब्ध न हो। अन्य बिंदुओं में शामिल हैं: न्यायिक स्वतंत्रता: न्यायाधीशों को व्यक्तिगत और संस्थागत दोनों पहलुओं में न्यायिक स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहिए। निष्पक्षता: न्यायाधीशों को अपने निर्णय तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया दोनों में निष्पक्ष होना चाहिए। अखंडता: न्यायाधीशों में निष्ठा होनी चाहिए। औचित्य: न्यायाधीशों को उचित तरीके से कार्य करना चाहिए और ऐसा करते हुए दिखना भी चाहिए। समानता: न्यायाधीशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अदालत में सभी लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाए। सार्वजनिक नज़र: न्यायाधीशों को यह पता होना चाहिए कि वे सार्वजनिक जांच के अधीन हैं और उन्हें ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो उनके उच्च पद के अनुरूप न हो। न्यायपालिका को कमजोर करने वाली गतिविधियों से बचना: न्यायाधीशों को ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए जो न्यायपालिका या उनके न्यायि...