वैष्णव जन तो तेने कहिये जे,
पीर परायी जाने रे।
पर दुख्खे उपकार करे तोये,
मन अभिमान ना आने रे।
~ नव वर्ष 2014 ~
~ आप सभी के लिए ~
~ मंगलकारी हो ~
स्वामी विवेकानंद का वाराणसी से गहरा संबंध था। उन्होंने वाराणसी में कई बार प्रवास किया, जिनमें 1888 में पहली बार आगमन और 1902 में अंतिम प्रवा...
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