Tuesday, 21 July 2015

कचहरी हमारा "व्यवहारिक विश्वविद्यालय":-

काली अंधियारी रात में एक छाेटा सा चिराग दूर तक अपना प्रकाश पहुंचाकर अपने नन्हें से जीवन काे सफल बनाता है।
इसी तरह इस कलयुगी दुनिया में मानवता आैर प्रकृति काे समर्पित कर किया गया एक छोटा सा कार्य, दूर तक संदेश देकर जागरण के मार्ग काे प्रशस्त करते हुये मानव जीवन काे सफल बनाता है।
काेई कार्य छाेटा-बड़ा नहीं हाेता,
हर कार्य प्रभु द्वारा प्रदत्त है।

वरिष्ठ अधिवक्ताआें काे मृत्योपरान्त भी कचहरी अपने ह्रदय 'बार एसाेसिएशन' में उन्हें सदैव जीवित रखती हैं। यह हम अगली पीड़ी के अधिवक्ताआें के संस्कार हैं और यह संस्कार हमें अपने वरिष्ठाें से प्राप्त हुये हैं। कचहरी हमारा "व्यवहारिक विश्वविद्यालय" जिसने हमें व्यवहार एवं सत्र न्यायालय में काम करने लायक बनाया है।

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