कनिष्ठ वकीलों को वित्तीय सहायता मुहैया कराकर उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना और दरिद्र एवं विकलांग वकीलों के लिए कल्याण कार्यक्रम चलाना कानूनी बिरादरी के लिए सदैव महत्वपूर्ण रहा है। कई राज्यों ने इस विषय पर अपने अलग विधान बनाए हैं। संसद में ‘अधिवक्ता कल्याण कोष कानून, 2001’ पारित किया है। यह कानून उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के लिए मान्य् है जहां इस विषय पर कोई कानून नहीं बना है। इस कानून का उद्देश्य है कि संबंधित सरकार ‘अधिवक्ता कल्याण कोष’ का गठन करे। इस कानून में यह अनिवार्य है कि हर वकील किसी भी न्यायालय, न्यायाधिकरण और प्राधिकार में वकालतनामा दाखिल करने के लिए निश्चित मूल्य के टिकट लगाए। ‘अधिवक्ता कल्याण कोष टिकट’ से जुटाई गई राशि अधिवक्ता कल्याण कोष का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
सभी वकील आवेदन राशि और वार्षिक चंदा देकर अधिवक्ता कल्याण कोष के सदस्य बन जाते हैं। इस कोष का संचालन संबद्ध सरकार द्वारा गठित ट्रस्टी करती है। सदस्य को गंभीर स्वास्थ्य समस्या होने पर इस कोष से अनुदान राशि दी जाती है या वकील की प्रैक्टिस बंद हो जाने पर एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है। वकील की मौत हो जाने पर उसके कानूनी उत्तराधिकारी को भी राशि देने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त सदस्यों और उसके आश्रितों को चिकित्सा और शैक्षणिक सुविधा मुहैय्या कराने और वकीलों को पुस्तक खरीदने तथा समान सुविधाएं प्रदान करने के लिए भी राशि देने का प्रावधान है।
#AdvAnshuman
Comments
Post a Comment