न्यायाधीश महाेदय यह समझाना चाह रहे हैं कि न्याय व्यवस्था मंहगी है इसलिए गरीबाें काे न्याय नहीं मिल पा रहा।
दूसरा पहलू यह है कि न्याय व्यवस्था भ्रष्टाचार में लिप्त हाे चुकी है। स्वयं न्यायाधीशों पर ताे आराेप लगा नहीं सकते, इसलिए वकीलों का नाम ले लिया। वकील ताे अपने मुवक्किल के प्रति ईमानदार रहता है परन्तु क्या पीठासीन अधिकारी व उनके कर्मचारी अपने दायित्वों के प्रति ईमानदार हैं...???
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