क्षमा चाहूंगा बापू से (सेन्ट्रल बार के सभागार में स्थापित महात्मा गांधी की जीवन्त प्रतिमा व उसके सम्मान से) और सभी अधिवक्ता बहनाें व भाइयों तथा समस्त गांधीवादियाें से कि, मैं दिनांक 30 जनवरी 2016 काे बनारस बार के शहीद/बलिदान दिवस कार्यक्रम की तैयारियों महामंत्री श्री नित्यानन्द राय व अन्य के साथ तथा वकालत के कामाें में वयस्त रहा। जिस कारण से आज के दिवस 30/1 काे मैं सेन्ट्रल बार के सभागार में नहीं पहुंच पाया और वास्तविकता यह भी है कि, मुझे याद भी नहीं था की सेन्ट्रल बार में बापू की प्रतिमा के सम्मुख श्रद्धांजलि अर्पित करना है। यही वजह रही कि, मैं बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण अथवा बापू की प्रतिमा के सम्मुख श्रद्धांजलि समर्पित/अर्पित नहीं कर पाया और ना ही मुझे दीे सेन्ट्रल बार एसोसिएशन 'बनारस' वाराणसी में किसी श्रद्धांजलि सभा अथवा कार्यक्रम की सूचना थी। जहां तक मुझे जानकारी है, सेन्ट्रल बार में काेई कार्यक्रम था भी नहीं।
यह मेरी त्रुटि व भूल है और मैं स्वयं अपने आपकाे इस गलती के लिए दाेषी मानता हूँ और मेरा यह कृत्य क्षमा के याेग्य नहीं है, यह मेरा विचार है।
यदि मेरे प्रिय अधिवक्ता बहनाें व भाइयों तथा समस्त भारतवंशियाें व गांधीवादियाें के द्वारा इस कृत्य के लिए मुझे क्षमा दी जाती है, ताे यह उनकी श्रेष्ठता तथा प्रेम व आशीर्वाद हाेगा।
पुनः क्षमा के साथ आपका निंदनीय...
अंशुमान दुबे (एडवोकेट)
पूर्व उपाध्यक्ष
दी बनारस बार एसोसिएशन, वाराणसी
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बहुत भरोसा था हमें कोमल शब्दों पर
और सदियों के आंसुओं से तुम्हारी आंख़ें गीली थीं
यकीन था भावनाओं पर
पर तुम्हारे स्वत्व पर लोहे की जिन सलाखों के निशान थे
उसका कोई काट न था इन भावनाओं के पास
शब्द थे ढेर सारे
निरर्थक नहीं थे सब
पर तुमको संबोधित होकर भी कितने गैर थे तुम्हारे लिये
क्षमा करना, इन्हीं शब्दों के बीहड़ वन में
बदहवास भटकते बीत गया है कितना वक्त……
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#भारतमेराधर्म
#AdvAnshuman
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