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Showing posts from 2015

सज्जन व्यक्ति की गलत साेच का परिणाम :-

पौराणिक साहित्य को ध्यान से देखें तो पाएंगे कि हमारे देवता भी सर्वथा निर्दोष या दुर्गुणों से मुक्त नहीं थे। लेकिन जहां उनका पतन हुआ, वहीं राक्षसों का जन्म हुआ। उन राक्षसो...

दाेहे:-

'मान' जीभ भयी बावरी उगले ज़हर हजार। जाे बस में रहे बावरी बचा रहे शीष सम्मान। #भारतमेराधर्म ********************************** 'मान' समूह में मिलत है, संख्य सैकड़ाे हजार। सफल तभी हाेत जब एक हाेये संकल्प विचार। #भारतमेराधर्म

23/11 कचहरी ब्लास्ट के आठ साल पुरे, अधिवक्ता देंगे श्रंद्धांजलि:-

वाराणसी/काशी के न्याय मंदिर में बम ब्लास्ट की घटना को आठ साल बीत गए हैं। घटना में तीन अधिवक्ताओं समेत नौ लोगों की मौत और पचास से अधिक लोग घायल हुए थे। कचहरी परिसर में काम करन...

कबीर :: शिरडी साईं :: महात्मा गांधी :-

कबीर ने करघे पर बैठकर ऐसी नायाब चादर बुनी, जिसे ऋषि-मुनि सबने ओढ़ी, फिर जस की तस धर दीनी चदरिया। साईं बाबा चक्की में रोग-शोक पीसकर सबको मुक्त करते थे, परन्तु बाबा कबीर चलती चाकी देख रोते थे। ‘चलती चाकी देख दिया कबीरा रोय’ अथवा 'चक्की में जाकर कोई साबुत नहीं बचता'। साईं बाबा मानते थे, आटे की तरह बिखराे मत, केन्द्र की तरफ जाओ। कबीर के कथन में न गेहूँ बचता है और न घुन। साईं बाबा एवं कबीर, दोनों के ही बीच में चक्की जन कल्याण का अद्भुत उपकरण रहा हैं। कैसी विचित्र बात है कि, कबीर के चार सौ साल बाद साईं बाबा ने चक्की को जनकल्याण के सन्देश का माध्यम बनाया और साईं बाबा के लगभग पाँच दशक बाद महात्मा गाँधी ने चरखे को परिवर्तन का ज़रिया बनाया।  जड़ के नीचे तीनाें संताें में एक समानता 'राम' का नाम रहा है। अगर कबीर 'निर्गुण राम' में रमे थे ताे साईं बाबा काे सब 'साईं राम' कह कर भजते हैं तथा गांधी 'हे राम' कह कर उपासना करते थे। यह भी एक जड़ हो सकती है, जिससे ये संत जुड़े थे।  चक्की व चरखा आध्यात्मिक और सामाजिक परिवर्तन के प्रभावी माध्यम बन गये। प्रतीत हाेता...

सहिष्णुता का मतलब :-

"सहिष्णुता का मतलब है, हर वह अधिकार जिसे आप अपने लिए पाना चाहते हैं, वह दूसरों को भी मिले।" ********* Meaning of सहिष्णुता (Sahishnuta) in English:- Forbearance; Patient; Tolerance ********* Meaning of असहिष्णुता (Asahishnuta) in English:- Intolerance; Impatience ********* सहिष्णुता का अनुपम उदाहरण :- गांधीजी दक्षिण अफ्रीका प्रवास पर थे। एक बार वहां रेल से उतरने के बाद उन्होंने एक तांगा किया। तांगे में कुछ गोरे अंग्रेज व कुछ काले (भारतीय व अफ्रीकन नागरिक) बैठे थे। अंग्रेजों की भेदभाव-नीति यह थी कि वे अपने साथ काले लोगों का बैठना-खाना-पीना पसंद नहीं करते थे, तब भारत व अफ्रीकन देश गुलाम थे। तांगे में जगह न मिलने पर गांधीजी उसमें रखे बॉक्स (पेटी) पर बैठ गए। यह बात अंग्रेजों को नागवार गुजरी और उनमें से एक अंग्रेज ने महात्मा गांधी को पीटना शुरू कर दिया। गांधीजी काफी देर तक मार खाते रहे, तब दूसरे अंग्रेजों में इंसानियत जागी और उन्होंने गांधीजी को पिटने से बचाया। उन्होंने अंग्रेजों का कोई प्रतिरोध नहीं किया व उन्हें क्षमा कर दिया था। यह गांधीजी की सहनशीलता का अनुपम उदाहरण ...

Smart City :: सुव्यवस्थित शहर

Smart City (सुव्यवस्थित शहर) के concept काे मैं कुछ यू परिभाषित करना चाहता हूँ। SMART शब्द पाँच अक्षराें S.M.A.R.T. से मिलकर बना है। इनकाे कुछ इस तरह समझा जाये.... S = Safty of its people's.  अर्थात जनता की सुरक्षा विशेषकर महिला, बुजुर्गों व बच्चाें की। M = Moveable Traffic.  अर्थात सड़कें व पब्लिक यातायात की सुविधायें सुगम व सरल हाे। A = Approachable basic needs.  अर्थात पानी, बिजली, सीवर, संचार, स्कूल, कालेज, इंटरनेट, अस्पताल, रोजमर्रा की जरुरताें के लिए उचित बाजार, आदि की सुविधायें सुगम व सरल हाे। R = Rights of Citizens.  अर्थात हर जाति व धर्म के मानने वाले नागरिकों के माैलिक अधिकार सुरक्षित हाे। T = Trust on Administration & Police.  अर्थात जनता का शासन प्रशासन व पुलिस पर भराेसा हाे। CITY काे परिभाषित करने की आवश्यकता नहीं है, क्याेंकि जिस शहर में उपराेक्त विषय वस्तु की उपस्थित रहेगी, वह स्वयं में Smart city कहलाने लगेगा। धन्यवाद।  त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।

"राम नाम सत्य है"

जब तलक जिस्म में श्वास की आराेह-अवराेह है, तब तक सब राम-राम है, अन्यथा सब मरा-मरा है। जब तलक जीवन में मां बाप का आशीर्वाद है, तब तक सब राम-राम है, अन्यथा सब मरा-मरा है। जब तलक जिन्द...

बचपन काे तू संभाला के चल :-

चन्द रूपयाें के लिए वह अपना ईमान बेचता है, कुछ पाने की चाह में ईमान त्यागना कहा मना है। बचपन में जाे संस्कार सीखा वह ताे थाेथा था, रूपया सच्चा है जिस पर बिका हर बच्चा है। बचपन ...

"मान" तू प्रेम कर :-

नज़राें से जहान भर में माेहब्बत बयान हाेती है, जुबान से जहान भर की नफरत सरेआम हाेती है। बेजुबान जानवर नजराें से माेहब्बत बयान करते हैं, जुबान वाले ताे लफ्जाें से नफ़रत सरे...

कबीर के राम, हमारे राम :-

कबीर के राम 'सगुण' अथवा 'रूप' अथवा 'आकार' के भेद से परे हैं। दरअसल उन्होंने अपने राम को शास्त्र-प्रतिपादित अवतारी, सगुण, वर्चस्वशील, वर्णाश्रम व्यवस्था के संरक्षक राम से अलग करने के लिए ही ‘निर्गुण राम’ शब्द का प्रयोग किया –  ***निर्गुण राम जपहु रे भाई।*** इस ‘निर्गुण’ शब्द को लेकर भ्रम में पड़ने की जरूरत नहीं। कबीर का आशय इस शब्द से सिर्फ इतना है कि ईश्वर को किसी नाम, रूप, गुण, काल आदि की सीमाओं में बाँधा नहीं जा सकता। जो सारी सीमाओं से परे हैं और फिर भी सर्वत्र हैं, वही कबीर के निर्गुण राम हैं। इसे उन्होंने ‘रमता राम’ नाम दिया है। अपने राम को निर्गुण विशेषण देने के बावजूद कबीर उनके साथ मानवीय प्रेम संबंधों की तरह के रिश्ते की बात करते हैं। कभी वह राम को माधुर्य भाव से अपना प्रेमी या पति मान लेते हैं तो कभी दास्य भाव से स्वामी। कभी-कभी वह राम को वात्सल्य मूर्ति के रूप में माँ मान लेते हैं और खुद को उनका पुत्र। निर्गुण-निराकार ब्रह्म के साथ भी इस तरह का सरस, सहज, मानवीय प्रेम कबीर की भक्ति की विलक्षणता है। यह दुविधा और समस्या दूसरों को भले हो सकती है कि जिस रा...

कुत्ता समाज खफ़ा:-

कुत्ता समाज इंसानी नेताओं से बेहद खफा है। ये इंसानी नेता बात-बात में हमारे बच्चों (पिल्लाें) काे और हम कुत्तों काे अपनी लड़ाई में क्याें घसीटते हैं। जबकि सदियाें से लेकर आज ...

एम सी छागला - पितामह

एम सी छागला : महोम्मेदाली करीम चागला (एम.सी.छागला) (30 सितंबर 1900-9 फ़रवरी 1981) एक प्रसिद्ध भारतीय न्यायधीश, राजनयिक तथा कैबिनेट मंत्री थे, जिन्होनें 1948 से 1958 तक बंबई उच्च न्यायालय के मुख...

Vakil/Advocate in India :: भारत में वकील/एडवोकेट

Excellent secular court systems existed under the Mauryas (321-185 BCE) and the Mughals (16 th  – 19 th  centuries) with the latter giving way to the current common law system. During the shift from Mughal legal system, the advocates under that regimen, “Vakil”, too followed suit, though they mostly continued their earlier role as client representatives. During British rules the indian lawyers i.e. "Vakil" (वकील) are under the Legal Practitioners Act of 1846 which opened up the profession regardless of nationality or religion. In Republic of India, the law relating to the Advocates is the "Advocates Act, 1961" introduced and thought up by Shri Ashok Kumar Sen, the then law minister of India, which is a law passed by the Parliament and is administered and enforced by the Bar Council of India.

अब मेरा दिल कोई मज़हब न मसीहा माँगे :-

अब मेरा दिल कोई मज़हब न मसीहा माँगे ये तो बस प्यार से जीने का सलीका माँगे ऐसी फ़सलों को उगाने की ज़रूरत क्या है जो पनपने के लिए ख़ून का दरिया माँगें सिर्फ़ ख़ुशियों में ही शा...

सूचना का अधिकार ने आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है:- 

सूचना का अधिकार अधिनियम - 2005 (आई.टी.आई.) ने हम लाेगाें और आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह कानून देश में 2005 में लागू हुआ। इस कानून का उपयोग करके आप किसी ...

प्रदेश सरकार द्वारा मृत अधिवक्ताओं के परिजनों काे 12.09.2015 काे 5 लाख की सहायता राशि दी जायेगी:-

यह ताे अच्छी पहल है, जिसे काफी संघर्ष और बलिदान के बाद हम अधिवक्ताओं ने प्राप्त किया है। आश्चर्य की बात यह है कि, सिर्फ 17 लाेगाें काे चेक दिया जायेगा। जबकि 20 कराेड़ रूपये इस कार्य के लिए आबंटित है। अर्थात 400 मृत अधिवक्ताओं के परिजन लाभान्वित हाे सकते हैं। ताे फिर सिर्फ 17 क्याें...??? यह बार काउंसिल के सदस्याें व महाधिवक्ता काे स्पष्ट करना चाहिए। क्या वाराणसी के किसी मृत अधिवक्ता के परिजन काे भी 5 लाख का चेक मिल रहा है...??? यह प्रश्न इसलिए क्योंकि वाराणसी से तीन सदस्य बार काउंसिल अॉफ उत्तर प्रदेश में हैं और वे मृतक अधिवक्ताओं के प्रति जवाबदेह भी माने जा सकते हैं, यदि वे ऐसा समझते हाे ताे।

क्या होता है श्रावणी उपाकर्म (रक्षाबंधन) ये क्यों किया जाता है, जानिए :-

रक्षाबंधन (29 अगस्त 2015, शनिवार) के दिन ब्राह्मणों द्वारा श्रावणी उपाकर्म किए जाने का विधान है। यह क्रिया पवित्र नदी के घाट पर सामूहिक रूप से की जाती है। जानिए क्या है श्रावणी उपाकर्म- श्रावणी उपाकर्म के तीन पक्ष है- प्रायश्चित संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय। सर्वप्रथम होता है- प्रायश्चित रूप में हेमाद्रि स्नान संकल्प। गुरु के सान्निध्य में ब्रह्मचारी गाय के दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र तथा पवित्र कुशा से स्नानकर वर्षभर में जाने-अनजाने में हुए पापकर्मों का प्रायश्चित कर जीवन को सकारात्मकता से भरते हैं। स्नान के बाद ऋषिपूजन, सूर्योपस्थान एवं यज्ञोपवीत पूजन तथा नवीन यज्ञोपवीत धारण करते हैं।  यज्ञोपवीत या जनेऊ आत्म संयम का संस्कार है। आज के दिन जिनका यज्ञोपवित संस्कार हो चुका होता है, वह पुराना यज्ञोपवित उतारकर नया धारण करते हैं और पुराने यज्ञोपवित का पूजन  भी करते हैं । इस संस्कार से व्यक्ति का दूसरा जन्म हुआ माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति आत्म संयमी है, वही संस्कार से दूसरा जन्म पाता है और द्विज कहलाता है। उपाकर्म का तीसरा पक्ष स्वाध्याय का है। इसकी शुरुआत सावित्र...

हमेशा सफल होने के लिए अपनाएं चाणक्य की ये दस बातें :-

चाणक्य की बुद्धि के कारण ही उन्हें आज जाना जाता है। एक महान अर्थशास्त्री के रूप में जाने जाने वाले चाणक्य ने कई ऐसी नीतियां बनाईं थी। जिसे अपना कर आप सफलता के शिखर पर पहुंच ...

चंदे से हाेता है इलाज...!!!

चंदे से हाेता है इलाज..... यह है अधिवक्ता की कहानी। शर्म आती है मुझकाे अधिवक्ता के रूप में अपनी अक्षमता पर। क्या हमारे बार एसोसिएशन व बार काउंसिल के पदाधिकारियों काे भी शर्म आती है...??? नाेट:- मैं बात कर रहा हूँ, अधिवक्ता चन्द्र माेहन गुप्ता जी की, जाे कबीरचाैरा मंडलीय अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। जरनल वार्ड नं. 1 बेड नं. 16 कृपया मदद करें। सही है कि Adv Gupta jee के पास व साथ कचहरी का वाेट बैंक नहीं है और इससे  भी बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि, उनके तीन पुत्र हैं। जाे इलाज में सहयाेग नहीं कर रहे हैं। यदि सही इलाज नहीं हुआ ताे वे अपंग भी हाे सकते हैं अन्यथा.....। श्री चन्द्रमाेहन गुप्ता एडवोकेट का परिचय-पत्र। और  दुर्गा प्रसाद, एड. द्वारा प्रदत्त चित्र, जिसमें श्री चन्द्रमाेहन जी अपनी पत्नी के साथ अस्पताल में। 

कचहरी हमारा "व्यवहारिक विश्वविद्यालय":-

काली अंधियारी रात में एक छाेटा सा चिराग दूर तक अपना प्रकाश पहुंचाकर अपने नन्हें से जीवन काे सफल बनाता है। इसी तरह इस कलयुगी दुनिया में मानवता आैर प्रकृति काे समर्पित कर कि...

साेच का ढंग:-

दाे दिन से तबीयत खराब थी। जरूरी काम व मीटिंग में उपस्थित नहीं हाे सका। आज 15.07.2015 की सुबह 10:00 बजे बिना खाये घर से काेर्ट गया और पूरे दिन काम किया। शाम में चेम्बर कर जब 11:00 दही चावल का पहला ...

"अहम्" - मैं श्रेष्ठ हूँ

विधि संदेश 'काशी' -  अष्टम संस्करण  || Vidhi Sandesh 'Kashi' - 8th Edition http://vidhisandeshkashi.blogspot.in/2015/07/blog-post.html 

देश भर में पत्रकाराें पर हमला व हत्या चिन्ता का विषय है :-

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया टीआरपी और विज्ञापन से हाेने वाले मुनाफ़े में व्यस्त है। प्रिंट मीडिया भी अब टीवी और सोशल मीडिया पर निर्भर हो चुका है। उसकी हालत भी उन जैसी ही हो चुकी है। प्रिंट में छपे निजी या सरकारी विज्ञापनों में समाचारों काे तलाश करने के बाद पढ़ने माैका मिलता है। ऐसे में पत्रकारों व समाचार कर्मियाें की सुरक्षा कैसे सम्भव है...??? पत्रकारिता पूर्व में समाज सेवा की श्रेणी में आती थी। परन्तु 21वीं सदी नें पत्रकारिता अब व्यापार हाे चुका है। अभी समाज सेवा की भावना रखने वाले कुछ पत्रकार जीवित हैं पर इनकी हत्या हाे रही है, पूरे भारत में। सुरक्षा के आभाव में पत्रकारिता की मृत्यु हाे जायेगी।

गाे-दान नहीं, नेत्रदान :-

कल दिनांक 06.06.2015 काे मेरे परिवार (माँ, पापा, मैं और पत्नी) ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया है कि, परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु पर हमारा परिवार गाे-दान अथवा अन्य नहीं करेगा। बल्कि ...

The Forget Story - Tribute to Late Nabi Ahmad

The Forget Story - Late Nabi Ahmad, Advocate Web link of Video https://youtu.be/JKDvXVmzCts Late Advocate Nabi Ahmad, Allahabad

"क्या हुआ तेरा वादा":-

अधिवक्ता कल्याण की योजनाएं- युवा अधिवक्ताआें काे भत्ता, 5 लाख का बीमा एवं पेंशन कब तक उत्तर प्रदेश सरकार व बार काउंसिल अॉफ उत्तर प्रदेश के मध्य विचार और क्रियान्वयन के आश्व...