अधिवक्ता कल्याण की योजनाएं- युवा अधिवक्ताआें काे भत्ता, 5 लाख का बीमा एवं पेंशन कब तक उत्तर प्रदेश सरकार व बार काउंसिल अॉफ उत्तर प्रदेश के मध्य विचार और क्रियान्वयन के आश्वासन में फंसी रहेंगी...???
2011-12 के चुनाव में स.पा. एवं बार के सदस्याें ने इन याेजनाओं काे लागू करने का वादा किया था।
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यहां एक गाना याद आया, "क्या हुआ तेरा वादा"
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जहां तक मुझे पता है, वर्तमान में बार काउंसिल के 25 में से ज्यादातर स.पा. से किसी ना किसी रूप में जुड़े हैं अथवा लाभान्वित हैं।
सविनय निवेदन है कि कुछ लाभ हम वाेटराें काे भी उपलब्ध करायें, उपराेक्त याेजनाओं के द्वारा।
नाेट:- अगर मेरी उपरोक्त बातें अवमानना की श्रेणी में आती हाे ताे, मैं समग्र अधिवक्ता हित में अवमानना की कार्यवाही काे सह्रदय तैयार हूँ।
सभी मित्राें का धन्यवाद के साथ निवेदन है कि उक्त याेजनाओं के लागू हाेने में हाे रहे विलम्ब पर अपने विचार दें।
समझ के परे है यह विलम्ब...???
वशिष्ठ जी भगवान श्रीराम के वनवास प्रकरण पर भरत जी को समझाते हैं, इस अवसर पर बाबा तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस की एक चौपाई में बहुत ही सुन्दर ढंग से लिखा हैं कि, "सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहुँ मुनिनाथ। हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश विधि हाथ।" इस प्रकरण पर सुन्दर विवेचन प्रस्तुत हैं बाबा तुलसीदास जी ने कहा है कि, "भले ही लाभ हानि जीवन, मरण ईश्वर के हाथ हो, परन्तु हानि के बाद हम हारें न यह हमारे ही हाथ है, लाभ को हम शुभ लाभ में परिवर्तित कर लें यह भी जीव के ही अधिकार क्षेत्र में आता है। जीवन जितना भी मिले उसे हम कैसे जियें यह सिर्फ जीव अर्थात हम ही तय करते हैं। मरण अगर प्रभु के हाथ है, तो उस परमात्मा का स्मरण हमारे अपने हाथ में है।" @KashiSai
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