परिवर्तन के दाैर में भारतीय समाज है आैर उसका असर राजनीति पर भी पड़ रहा है।
65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, जाे काम चाहती है काेरे वादे नहीं, यह है 21वीं सदी का भारतीय लाेकतन्त्र।
सभी सत्ताधारी पार्टियों के नेताओं से सविनय निवेदन है कि कृपया काम करें आैर चुनावी वादाें काे पूरा करने का उचित प्रयास करें अन्यथा एक काे 60 साल के सत्ता के बदले शून्य (0) मिला है आैर दूसरे काे नाै माह की सत्ता पर तीन (3), वाह मेरे भारतीय भाइयाें आैर बहनाें आपने ताे साबरमती के संत जैसा कमाल कर दिया।
बनारसी अंदाज में कहूं ताे, "बा रजा दिल्ली बा, ऐके कहल जाला वाेट क चाेट, कुछ लाेग त सहरावे लायक भी नाही बचलन आैर कुछ लाेग बचल हुअन त खाली खुजावे खातिर। त्रिभुज बना के एक दूजे क खुजावा।"
Wednesday, 11 February 2015
परिवर्तन के दाैर में भारतीय समाज :-
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