वर्ष 2014 लाेकसभा आैर 2015 दिल्ली चुनाव ने यह साबित कर दिया कि तंत्र कितना भी भ्रष्ट हाे जाये, परन्तु भारत में गणतन्त्र की जड़े बहुत गहरी हैं।
लाेकतन्त्र में जब जनता वाेट की चाेट पर आती है ताे बड़े-बड़े नेता आैर अहंकारी प्रशासक सत्ता विहीन हाेकर अस्तित्व की लड़ाई में व्यस्त हाेने काे मजबूत हाे जाते हैं। जनता सिर्फ काम चाहती है आैर अब वाे माैके पर सही उत्तर देने का तरीका जान चुकी है।
यह जनता अगर मूड में आ गयी ताे किसी चुनाव में यह भी हाेगा कि सारी जनता NOTA पर वाेट देकर चली आयेगी।
सावधान जनता "वाेट की ताक़त" जान चुकी है। हम वाेट की चाेट करते रहेंगें।
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