Sunday, 3 May 2015

माेदी जी काे धन्यवाद क्योंकि उनके प्रयास से 10000 साेये भा.ज.पा वालाें ने झांडू उठाया है:-

"घाटाें की सफाई किसी एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, यह जिम्मेदारी हर उस व्यक्ति, हर उस विभाग की है जाे वाराणसी के घाटाें से लाभान्वित हाेता है अथवा उसपर राजनीति कर सत्ता में आता रहा है। चाहे वे सांसद हाे, विधायक हाे, पार्षद हाे या अन्य।"
संत रैदास ने कहा 'कठौती में गंगा' ताे सबने कुछ और ही समझा। परन्तु उनका आशय यह हाे सकता है कि "गंगा का जल प्रकृति की कठौती में है, मन चंगा रखाे ताे गंगा स्वत: स्वच्छ हाे जायेगी।"
यहां ताे सिर्फ मां गंगा का निरन्तर दाेहन हाे रहा है, कभी व्यक्तिगत लाभ हेतु, कभी राजनैतिक लाभ के लिए। 
10000 भा.ज.पा कार्यकर्ता आज घाट साफ करने उतरे हैं। ये 10000 कार्यकर्ता माेदी जी के प्रधानमंत्री बनने का इन्तजार कर रहे थे क्या..???
माेदी जी के सांसद बनने के बाद वाराणसी के भा.ज.पा कार्यकर्ताओं काे घाट की सफाई याद आयी। लगता है प्रधानमंत्री के चाटुकार जाग गये हैं। 
पूर्व में भी ताे यहां वाराणसी में आपके सांसद थे तब आप 10000 कहाँ थे...???
बाहरी गुजराती ने कहा ताे आप 10000 घाट की सफाई करने काे चल पड़े। क्या स्वयं काे कभी घाट गंदा नहीं लगा...???
मेयर कई वर्षों से भा.ज.पा का, सारे घाटाें वाले क्षेत्र के विधायक आपके आैर ताे और सांसद आपके फिर भी घाट और शहर गंदा। स्पष्ट है भा.ज.पा के लाेगाें ने वाेट लिया पर काम करने में रूचि नहीं दिखाई। यह शर्मनाक व दुखःद है।
तमाम विभाग हम बनारसी लाेगाें पर आराेप लगाते हैं यहां की जनता ही सफाई पसंद नहीं हैं।
अरे मेरे बाहरी अधिकारीगण, बाहरी नेतागण व सांसद महाेदय बनारस काे समझना है ताे कबीर बनाे, रैदास बनाे तुलसी बनाे तब बनारस समझ में आयेगा।

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