यदि घाटाें काे साफ करने के कार्य काे चुनाव में टिकट पाने का पैमाना बना दिया जायें, ताे हर घाट पर सिर्फ एक ही पार्टी के लाेग दल-बल के साथ रियाज़ करते हुये पायें जायेंगे।
जय हाे गंगा मइया की।
पहले प्रधानमंत्री जी की पार्टी वाले ताे समझे कि महात्मा गांधी ने स्वच्छता पर इतना ज़ाेर क्याें दिया है। हमारे प्रधानमंत्री जी ताे समझ गये हैं, इसीलिए उन्होंने 2 अक्टूबर काे स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की है। परन्तु अभी पार्टी के लाेगाें यह समझ में नहीं आ रहा। वे साेचते हैं कि यह अभियान भी माेदी जी का प्रचार अभियान मात्र है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में रविवार को गंगा घाटों की सफाई का भाजपा का तीन घंटे का महाअभियान दो घंटे में ही खत्म हो गया। इस दौरान चमके घाटों की ही सफाई की रस्म अदायगी नजर आई।
अभियान में दस हजार सदस्यों के शामिल होने का दावा किया गया था, दिखे हजार भी नहीं।
झाड़ू लगाने के बाद कूड़े को काली पालीथिन बैग में भरकर निस्तारित किया गया। हालांकि, निस्तारण कार्य में घोर लापरवाही बरती गई। घाटों पर ही कूड़े की पालीथिन छोड़ लोग चलते बने। कुछ घाटों पर कूड़े में आग भी लगा दी गई। वहां से राख हटाना अब नगर निगम की जिम्मे है।
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