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Showing posts from May, 2019

Aawaz Deke Hamen Tum Bulao लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी

आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ अभी तो मेरी ज़िंदगी है परेशां कहीं मर के हो खाक भी न परेशां दिये की तरह से न हमको जलाओ मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ मैं सांसों के हर तार में छुप रहा हूँ मैं धड़कन के हर राग में बस रहा हूँ ज़रा दिल की जानिब निगाहें झुकाओ मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ ना होंगे अगर हम तो रोते रहोगे सदा दिल का दामन भिगोते रहोगे जो तुम पर मिटा हो उसे ना मिटाओ मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ

सब्र और सच्चाई

‘सब्र’ और ‘सच्चाई’ एक ऐसी सवारी है, जो अपने सवार को कभी गिरने नहीं देती, ना किसी के कदमो में, और ना किसी की नज़रों में...!!

कबीर

कबीर के literature काे भी तत्समय poor की संज्ञा दिया गया था। आज वर्षों बाद कबीर के विचार जीवित हैं परन्तु विरोधियों का ना ताे विचार रहा और ना ही उनका अस्तित्व। कबीर कहते हैं- चाल बकुल की चलत है, बहुरि कहावै हंस। ते मुक्ता कैसे चुगे, पड़े काल के फंस।। भावार्थ:- जो बगुले के आचरण में चलकर, पुनः हंस कहलाते हैं वे ज्ञान - मोती कैसे चुगेगे ? वे तो कल्पना काल में पड़े हैं।

ऐ मालिक तेरे बंदे हम - भरत व्यास

ऐ मालिक तेरे बंदे हम ऐसे हो हमारे करम नेकी पर चलें और बदी से टलें ताकि हंसते हुये निकले दम जब ज़ुलमों का हो सामना तब तू ही हमें थामना वो बुराई करें हम भलाई भरें नहीं बदले की हो कामना बढ़ उठे प्यार का हर कदम और मिटे बैर का ये भरम नेकी पर चलें ये अंधेरा घना छा रहा तेरा इनसान घबरा रहा हो रहा बेखबर कुछ न आता नज़र सुख का सूरज छिपा जा रहा है तेरी रोशनी में वो दम जो अमावस को कर दे पूनम नेकी पर चलें बड़ा कमज़ोर है आदमी अभी लाखों हैं इसमें कमीं पर तू जो खड़ा है दयालू बड़ा तेरी कृपा से धरती थमी दिया तूने हमें जब जनम तू ही झेलेगा हम सबके ग़म नेकी पर चलें 

मेरे राम को खण्डित करने वाले सदैव दण्डित होते हैं:-

राम को खण्डित करने वाले सदैव दण्डित होते हैं। इस वाक्य से इस पोस्ट की शुरुआत कर रहा हूँ, क्योंकि यह सत्य है। इतिहास गवाह है, जिस किसी ने "राम-नाम" को खण्डित करने का प्रयास किया वह स्वयं खण्डित हो गया। मैं सिर्फ उस इतिहास की बात करता हूँ जो मैंने अपने 44 साल के जीवन में देखा व सुना है। ***पहली घटना जिसने राम-नाम की राजनीति में ताला खुलवाया, उसका शरीर खण्ड-खण्ड हो गया। ***दूसरी घटना, जिसने राम-नाम पर रथयात्रा निकालकर राजनीति की, उनके प्रधान बनने का सपना तीन बार खण्ड-खण्ड हो गया। ***तीसरी घटना जिसका दायित्व था कि उसे राम-नाम की राजनीति को रोकना है, उसने ऐसा नहीं किया तो उसके ही लोगों ने उसे मरने के बाद राजघाट, दिल्ली के बाहर फेंक दिया। इसलिए राम-नाम की राजनीति बंद करो और राम का नाम लेकर राम की जनता के लिए काम करो।