Skip to main content

Posts

Showing posts from 2020

ब्राह्मणों के 8 प्रकार जानिए कौन से...

Screen Shot of the article, full web link of this post:- https://hindi.webdunia.com/sanatan-dharma-niti-niyam/brahmin-114110500037_1.html

Anshuman's Thoughts inspired with the blessings of Shri Shirdi Sai Baba

Herd Immunity (झुंड उन्मुक्ति)

हाल ही में ब्रिटिश सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने ब्रिटेन में तेज़ी से फैल रही COVID-19 की चुनौती से निपटने के लिये हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) के विकल्प को अपनाने के संकेत दिये हैं।  क्या है हर्ड इम्युनिटी?  (Herd Immunity =  झुंड उन्मुक्ति) हर्ड इम्युनिटी से आशय- “किसी समाज या समूह के कुछ प्रतिशत लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के माध्यम से किसी संक्रामक रोग के प्रसार को रोकना है।”   इस प्रक्रिया को अपनाने के पीछे अवधारणा यह है कि यदि पर्याप्त लोग प्रतिरक्षित (Immune) हों तो किसी समाज या समूह में रोग के फैलने की शृंखला को तोड़ा जा सकता है और इस प्रकार रोग को उन लोगों तक पहुँचाने से रोका जा सकता है, जिन्हें इससे सबसे अधिक खतरा हो या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। हर्ड इम्युनिटी कैसे काम करती है? किसी संक्रामक बीमारी के प्रसार और उसके लिये आवश्यक प्रतिरक्षा सीमा का अनुमान लगाने के लिए महामारी वैज्ञानिक (Epidemiologists) एक मानक का उपयोग करते हैं जिसे ‘मूल प्रजनन क्षमता’ (Basic Reproductive Number-R0) कहा जाता है। यह बताता है कि किसी एक मामले या रोगी के संपर्क में आ

अधिवक्ता, वाराणसी कचहरी और #कोरोना:-

#लाॅकडाउन #आत्मनिर्भरता #दानदाता #राशनपैकट #आर्थिकसहायता #अनलॉक और रोज़ रोज़ बदलते नियम कानून के फेर में 22 मार्च 2020 से 30 जून 2020 का 101 दिन #लाॅकडाउन और #अनलाॅक में बीत गये, यानि कि 2020 का 1/3 समय व्यर्थ चला गया। और इन 101 दिनों में वकीलों पर उधार बहुत हो गया होगा..??  कठोरतम संघर्ष की स्थिति आ रही है। सरकारों ने अधिवक्ता समाज को #आत्मनिर्भर मान लिया है अतः #कोरोनाकाल में किसी प्रकार की सहायता नहीं दी और न ही देने की इच्छा शक्ति दिख रही है। स्थानीय स्तर पर दानदाताओं की मदद से बार एसोसिएशन ने मात्र 1000-1000 रुपये की आर्थिक सहायता की और एक सम्मानित नेता के प्रयास से राशन का पैकेट कुल 10000+ वकीलों के बीच में 1000+ बार संघ के जरिए बंटा। बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश यह दो सर्वोच्च संस्थाओं ने #कोरोनाकाल में अपने आपको पूर्णतया सफेद हाथी साबित कर दिया, किया कुछ नहीं, रोज़ सदस्यों के आपसी विवाद में उलझाकर वकीलों की आर्थिक सहायता के मुद्दे को जानबूझकर भुला दिया।  कुछ संघर्षशील अधिवक्ता साथियों ने उच्च न्यायालय में #PIL दाखिल कर विपरीत परिस्थिति

अधिवक्ताओं के सहयोग से प्रदेश सरकार को होने वाली आय का विवरण:-

अधिवक्ताओं के सहयोग से प्रदेश सरकार को होने वाली आय का विवरण, जो दर्शाता है कि, हम अधिवक्ता सरकार को किस प्रकार से सहयोग करते है। अत: हम अधिवक्ताओं की मांगों को पूरा करना सरकार का मुख्य दायित्व होना चाहिये।  नीचे दी गयी 8 image यह स्पष्ट करती हैं कि जिलावार अधिवक्ताओं के सहयोग से उतर प्रदेश सरकार को 2004-05 से 2009-10 (6 साल) में क्या आय हुई है? उक्त जानकारी जनसूचना के माध्यम से 2010 में एकत्रित की गयी थी और उक्त जानकारी बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और तत्कालीन प्रदेश सरकार को भी दी गयी और निवेदन किया गया था कि, अधिवक्ताओं के कल्याण हेतु अधिवक्ता पेंशन योजना और युवा अधिवक्ताओं के लिए स्टापेंड दिया जाये। पर न बार काउंसिल ने सुना और न ही प्रदेश सरकार ने। बस समय-समय पर आश्वासन जरुर दिया। ऐसी है, हमारी बार काउंसिल जो वर्तमान में #कोरोना महामारी के समय फिर से अधिवक्ता टिकट की बातकर, सबको फिर आश्वासनों के फेर में डालना चाह रही है। उम्मीद है शायद इस बार कुछ हो जाये, शायद मरें हुये ज़मीर जाग जायें और अधिवक्ताओं का कुछ कल्याण हो जाये।

लाभ-हानि, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ:-

वशिष्ठ जी भगवान श्रीराम के वनवास प्रकरण पर भरत जी को समझाते हैं, इस अवसर पर बाबा तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस की एक चौपाई में बहुत ही सुन्दर ढंग से लिखा हैं कि, "सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहुँ मुनिनाथ। हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश विधि हाथ।" इस प्रकरण पर सुन्दर विवेचन प्रस्तुत हैं बाबा तुलसीदास जी ने कहा है कि, "भले ही लाभ हानि जीवन, मरण ईश्वर के हाथ हो, परन्तु हानि के बाद हम हारें न यह हमारे ही हाथ है, लाभ को हम शुभ लाभ में परिवर्तित कर लें यह भी जीव के ही अधिकार क्षेत्र में आता है।  जीवन जितना भी मिले उसे हम कैसे जियें यह सिर्फ जीव अर्थात हम ही तय करते हैं। मरण अगर प्रभु के हाथ है, तो उस परमात्मा का स्मरण हमारे अपने हाथ में है।" @KashiSai

'बनारस' एक ऐसा शहर जहां मृत्यु भी उत्सव है:-

बनारस। मृत्यु और काशी का अपने आप में अनोखा रिश्ता है। हिन्दू धर्म को मानने वाले कहीं भी रहते हो, मगर जीवन के बाद मोक्ष प्राप्त करने की चाह में वो भोलेनाथ की नगरी "काशी" ही आना चाहते हैं। सफेद चादर में लिपटा शरीर उस राम नामी चादर, लोगों की भीड़ और उसी भीड़ से आती "राम नाम सत्य है'’ की आवाज, ऐसा दृश्य आपको कहीं मिले तो समझ जाइएगा आप बनारस के मणिकर्णिका घाट अथवा हरीशचंद्र घाट पर हैं। देखा जाए तो मृत्यु के बाद पीने-पिलाने, खाने-खिलाने, नाचने-गाने और बकायदा जश्न मनाने का चलन कई जातियों में है। नगाड़े की जोशीली संगीत पर थिरकते बूढ़े-बच्चे और नौजवान। किसी चेहरे पर शोक की कोई रेखा नहीं, हर होंठ पर मुस्कान। मद्य के सुरूर में मदमस्त लोगों का हर्ष मिश्रित शोर। जुलूस चाहे जहां से भी निकाला हो, मगर झूमता-घूमता शमशान घाट की ओर बढ़ता चला जाता है। जुलूस भी आम सामान्य नहीं। इसका जोश देखकर ऐसा भ्रम होता है, मानो कोई वरयात्रा द्वाराचार के लिए वधू पक्ष के द्वार की ओर बढ़ रहा हो। मगर अचानक ही यह भ्रम उस वक़्त टूट जाता है, जब ‘यात्रा’ के नजदीक पहुंचने पर बाजे-गाजों के शोर के बीच ह

CoP, Roll of Advocates & सुरक्षा:-

 अधिवक्ता बहनों व भाइयों, मैंने पहले ही कह दिया था, सभी को वकीलों का NRC फार्म (Advocates on Roll Form - Issued by DJ under  PIL) जमा करना जरूरी और आवश्यक है।‌ अब यही निर्णय संयुक्त बार एसोसिएशन के सदन ने भी ले लिया। हम वाराणसी के अधिवक्ताओं को 23-11-2007 कचहरी परिसर बम ब्लास्ट को नहीं भूलना चाहिए और सुरक्षा व्यवस्था में सहयोग के लिए DJ Advocates on Roll Form जरुर भरना चाहिए।  यह स्थानीय मुद्दा है, हमसब की सुरक्षा से जुड़ा है, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।  पर कुछ तथाकथित विशेष प्रजाति के प्रादेशिक नेता अपनी राजनीति में लगे हैं, यह खेदजनक व निंदनीय है। आप राजनीति करिये अच्छा है, यह लोकतंत्र के लिए जरूरी है, पर सुरक्षा के विषय पर राजनीति कदापि उचित नहीं है। जहां तक 100/- रुपए शुल्क की बात है, वह देने में कोई हर्ज नहीं है। बार एसोसिएशन व काउंसिल भी परिचय पत्र का शुल्क लेता है, फ्री में ID Card नहीं देता है। तो शुल्क पर आपत्ति बेमानी है। Advocate on Roll की पूरी कवायद सुरक्षा से जुड़ी है इसलिए सहयोग जरूरी है, यह मुफ्त किताब वितरण का after effect नहीं है, अतः विरोध