Skip to main content

"बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया को अधिवक्ता परीक्षा की आय" के विवरण को सदन के पटल पर रखा :-

अंशुमान दुबे (अधिवक्ता) ने युवा अधिवक्ताओं की समस्या को बनारस बार और सेंट्रल बार की संयुक्त बैठक में उठाया और जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त सूचना को सदन के पटल पर रखा।
उक्त जन सूचना का वेब लिंक :- 
Web link:-

http://advocatepension.blogspot.in/2011/10/bar-council-of-india-earned-surplus.html

Brief:-

The Bar Council of India Earned Surplus from All India Bar Examination

बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया को अधिवक्ता परीक्षा से 89,55,202 रुपये की आय आजतक  प्राप्त की है.
The Bar Council of India Earned surplus of Rs. 61,13,902/- form All India Bar Examination held on 06-03-2011 and Rs. 28,38,300/- form All India Bar Examination (http://www.barcouncilofindia.org/about/first-all-india-bar-examination/) held on 24-07-2011 but they are unable to inform us in which scheme they use this surplus

Comments

Popular posts from this blog

"तुलसी दोहा शतक'' में गोस्वामी तुलसीदास ने किया था राम मंदिर को तोड़े जाने का जिक्र :: #AdvAnshuman

एक तर्क हमेशा दिया जाता है कि अगर बाबर ने राम मंदिर तोड़ा होता तो यह कैसे सम्भव होता कि महान रामभक्त और राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास इसका वर्णन पाने इस ग्रन्थ में नहीं करते ? ये बात सही है कि रामचरित मानस में गोस्वामी जी ने मंदिर विध्वंस और बाबरी मस्जिद का कोई वर्णन नहीं किया है। हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने इसको खूब प्रचारित किया और जन मानस में यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि कोई मंदिर टूटा ही नहीं था और यह सब झूठ है। यह प्रश्न इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष भी था। इलाहाबाद उच्च नयायालय में जब बहस शुरू हुयी तो श्री रामभद्राचार्य जी को Indian Evidence Act के अंतर्गत एक expert witness के तौर पर बुलाया गया और इस सवाल का उत्तर पूछा गया।  उन्होंने कहा कि यह सही है कि श्री रामचरित मानस में इस घटना का वर्णन नहीं है लेकिन तुलसीदास जी ने इसका वर्णन अपनी अन्य कृति 'तुलसी दोहा शतक' में किया है जो कि श्री रामचरित मानस से कम प्रचलित है। अतः यह कहना गलत है कि तुलसी दास जो कि बाबर के समकालीन भी थे,ने राम मंदिर तोड़े जाने की घटना का वर्णन नहीं किया है और जहाँ तक राम चरित मानस

लाभ-हानि, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ:-

वशिष्ठ जी भगवान श्रीराम के वनवास प्रकरण पर भरत जी को समझाते हैं, इस अवसर पर बाबा तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस की एक चौपाई में बहुत ही सुन्दर ढंग से लिखा हैं कि, "सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहुँ मुनिनाथ। हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश विधि हाथ।" इस प्रकरण पर सुन्दर विवेचन प्रस्तुत हैं बाबा तुलसीदास जी ने कहा है कि, "भले ही लाभ हानि जीवन, मरण ईश्वर के हाथ हो, परन्तु हानि के बाद हम हारें न यह हमारे ही हाथ है, लाभ को हम शुभ लाभ में परिवर्तित कर लें यह भी जीव के ही अधिकार क्षेत्र में आता है।  जीवन जितना भी मिले उसे हम कैसे जियें यह सिर्फ जीव अर्थात हम ही तय करते हैं। मरण अगर प्रभु के हाथ है, तो उस परमात्मा का स्मरण हमारे अपने हाथ में है।" @KashiSai

अधिवक्ता दिवस-2013 की शुभकामना || Wishes for Advocate's Day-2013

3rd December, 2013 an "Advocate's Day". Be United & Fight for our Rights. with lots of Wishes & Regards Anshuman Dubey Adv. अधिवक्ता दिवस-2013 की शुभकामनाओ के साथ,  सदैव आप के स्नेह और सहयोग का आभारी... आपका प्रिय अंशुमान दुबे, अधिवक्ता Mo. 9415221561 http://a3advocate.blogspot.in/   ~ * ~ Web link for Advocate's Day of   Adhivakta Pension Vikas Samiti, Varanasi:- http://advocatepension.blogspot.in/2011/12/happy-advocates-day.html