गरीबी का मज़ाक गरीबाेें की माैत पे,
जितना चाहे बतिया लाे, राजनीति कर लाे,
डाक्टरों काे जेल भेज दाे, दवा कम्पनी काे बन्द कर दाे,
जाे चाहाे वह कर लाे, करवा दाे।
पर बिन मां के बच्चाें का क्या हाेगा यह ताे बता दाे..?
भाई की सूनी कलाई काे दम हाे ताे फिर से सजा दाे,
पत्नी के बिन पति का फिर से विवाह करा दाे...
आैर कुछ ना कर सकाे ताे उनकी भी नसबन्दी करा दाे,
मीडिया काे काफी दिनाें बाद रमन सिंह के खिलाफकुछ मिला है, तनी टी.आर.पी. ताे बड़ा लेने दाे।
गरीबाें का काम ही मरना है,
चाहे दवा से, चाहे भूख से, चाहे बिमारियां से,
लाइन में खडा़ कर गरीबाें काे जलियांवाला बाग बना दाे,
वाह रे तेरी दुनिया, वाह रे तेरे अच्छे दिन।
जय हाे भारत।
एक तर्क हमेशा दिया जाता है कि अगर बाबर ने राम मंदिर तोड़ा होता तो यह कैसे सम्भव होता कि महान रामभक्त और राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास इसका वर्णन पाने इस ग्रन्थ में नहीं करते ? ये बात सही है कि रामचरित मानस में गोस्वामी जी ने मंदिर विध्वंस और बाबरी मस्जिद का कोई वर्णन नहीं किया है। हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने इसको खूब प्रचारित किया और जन मानस में यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि कोई मंदिर टूटा ही नहीं था और यह सब झूठ है। यह प्रश्न इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष भी था। इलाहाबाद उच्च नयायालय में जब बहस शुरू हुयी तो श्री रामभद्राचार्य जी को Indian Evidence Act के अंतर्गत एक expert witness के तौर पर बुलाया गया और इस सवाल का उत्तर पूछा गया। उन्होंने कहा कि यह सही है कि श्री रामचरित मानस में इस घटना का वर्णन नहीं है लेकिन तुलसीदास जी ने इसका वर्णन अपनी अन्य कृति 'तुलसी दोहा शतक' में किया है जो कि श्री रामचरित मानस से कम प्रचलित है। अतः यह कहना गलत है कि तुलसी दास जो कि बाबर के समकालीन भी थे,ने राम मंदिर तोड़े जाने की घटना का वर्णन नहीं किया है और जहाँ तक राम चरित मानस
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