रामनगर की रामलीला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले के रामनगर क्षेत्र में मनाई जाने वाली प्रसिद्ध रामलीला कार्यक्रम है। यहां की रामलीला का आयोजन वर्षांत काल दशहरा उत्सव के अवसर पर होता है और यह कार्यक्रम बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।रामनगर की रामलीला का विशेषत:पुरातात्विक महत्व: यहां की रामलीला कार्यक्रम में पुरातात्विक सौंदर्य और धार्मिक महत्व का मिलन होता है। यहां के स्थलीय लोग विभिन्न पारंपरिक धार्मिक रूप, श्रृंगारिक वस्त्र और मेकअप में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान आदि के चरणरज बद्ध होते हैं।आकर्षण: यहां के रामलीला कार्यक्रम बड़े ही आकर्षक होते हैं और लाखों लोग इसे देखने के लिए आते हैं। कार्यक्रम का आयोजन काशी के प्रमुख स्थलों में किया जाता है और वहां की बड़ी जगहों पर आकर्षण स्थल और दृश्यों का आयोजन किया जाता है।सांस्कृतिक परंपरा: रामनगर की रामलीला एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है और यह लोगों को हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण कथाओं और धार्मिक संदेशों के प्रति जागरूक करता है। रामनगर की रामलीला भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां के लोग इसे गर्व से मनाते हैं।
एक तर्क हमेशा दिया जाता है कि अगर बाबर ने राम मंदिर तोड़ा होता तो यह कैसे सम्भव होता कि महान रामभक्त और राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास इसका वर्णन पाने इस ग्रन्थ में नहीं करते ? ये बात सही है कि रामचरित मानस में गोस्वामी जी ने मंदिर विध्वंस और बाबरी मस्जिद का कोई वर्णन नहीं किया है। हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने इसको खूब प्रचारित किया और जन मानस में यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि कोई मंदिर टूटा ही नहीं था और यह सब झूठ है। यह प्रश्न इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष भी था। इलाहाबाद उच्च नयायालय में जब बहस शुरू हुयी तो श्री रामभद्राचार्य जी को Indian Evidence Act के अंतर्गत एक expert witness के तौर पर बुलाया गया और इस सवाल का उत्तर पूछा गया। उन्होंने कहा कि यह सही है कि श्री रामचरित मानस में इस घटना का वर्णन नहीं है लेकिन तुलसीदास जी ने इसका वर्णन अपनी अन्य कृति 'तुलसी दोहा शतक' में किया है जो कि श्री रामचरित मानस से कम प्रचलित है। अतः यह कहना गलत है कि तुलसी दास जो कि बाबर के समकालीन भी थे,ने राम मंदिर तोड़े जाने की घटना का वर्णन नहीं किया है और जहाँ तक राम चरित मानस
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