Skip to main content

भारतीय पुलिस अधिनियम (Act) 1861

आखिर ये पुलिस बनी कब ?
10 मई 1857 को जब देश में क्रांति हो गई और भारतवासियों ने पूरे देश में 3 लाख अंग्रेजो को मार डाला। उस समय क्रांतिकारी थे मंगल पांडे, तांतिया टोपे, नाना साहब पेशवा आदि।

लेकिन कुछ गद्दार राजाओ के वजह से अंग्रेज दुबारा भारत में वापिस आयें और दुबारा अंग्रेजो को भगाने के लिये 1857 से लेकर 1947 तक पुरे 90 साल लग गये। इसके लिये भगत सिहं, उधम सिहं, चंद्र शेखर आजाद, राम प्रसाद बिसमिल जैसे 7 लाख 32 हजार क्रंतिवीरो को अपनी जान देनी पड़ी।

जब अंग्रेज दुबारा आये तब उन्होने फ़ैसला किया कि अब हम भारतवासियों को सीधे मारे पीटें गये नहीं। अब हम इनको कानून बना कर गुलाम रखेंगे। उनको डर था कि 1857 जैसी क्रंति दुबारा न हो जाये। तब अंग्रेजो ने INDIAN POLICE ACT बनाया, नाम मे Indian लिखा है, लेकिन Indian कुछ नहीं इसमे और पुलिस बनायी। उसमे एक धारा बनाई गई Right to offense| मतलब पुलिस वाला आप पर जितनी मर्जी लठिया मारे पर आप कुछ नहीं कर सकते और अगर आपने लाठी पकड़ने की कोशिश की तो आप मर मुकद्दमा चलेगा।

इसी कानून के आधार पर सरकार अंदोलन करने वालो पर लठिया बरसाया करती थी । फ़िर ऐसी धारा 144 बनाई गई ताकि लोग इकठे न हो सके।

ऐसी ही कुछ और खतरनाक कानुन बनाने के लिये साईमन कमीशन भारत आने वाला था। क्रंतिकारी लाला लाजपत राय जी ने उसका शंतिप्रिय विद्रोह कर रहे थे। अंग्रेजी पुलिस के एक अफ़सर सांड्र्स ने उन लाठिया बरसानी शुरु कर दी। एक लाठी मारी ,दो मारी ,तीन ,चार ,पांच करते करते 14 लाठिया मारी। नतीजा ये हुआ लाला जी के सर से खून ही खून बहने लगा उनको अस्तपताल लेकर गये वहां उनकी मौत हो गई।

अब सांड्र्स को सज़ा मिलनी चाहिए इसके लिये शहीदेआजम भगत सिंह ने आदलत में मुकद्दमा कर दिया, सुनवाई हुई। अदालत ने फैसला दिया कि लाला पर जी जो लाठिया मारी गई है वो कानून के आधार पर मारी गई है अब इसमे उनकी मौत हो गई तो हम क्या करे इसमे कुछ भी गलत नहीं है। नतीजा सांड्र्स को बाईजत बरी किया जाता है।

तब भगत सिंह को गुस्सा आया उसने कहा जिस अंग्रेजी न्याय व्यवस्था ने लाला जी के हथियारे को बाईज्जत बरी कर दिया। उसको सज़ा मैं दुंगा। और इसे वहीं पहुँचाउगा जहाँ इसने लाला जी पहुँचाया है। और जैसा आप जानते फ़िर भगत सिंह ने सांड्र्स को गोली से उड़ा दिया। और फ़िर भगत सिंह को इसके लिये फ़ांसी की सज़ा हुई।

जिंदगी के अंतिम दिनो जब भगत सिंह लाहौर जेल में बंद थे तो बहुत से पत्रकार उनसे मिलने जाया करते थे। और भगत सिंह से पुछा उनकी कोई आखिरी इच्छा और देश के युवाओ के लिये कोई संदेश ?

शहीदेआजम भगत सिंह ने कहा कि मैं देश के नौजवानो से उम्मीद करता हूँ। कि जिस Indian Police Act के कारण लाला जी जान गई। जिस Indian Police Act के आधार मैं फ़ांसी चढ़ रहा हूँ। मै आशा करता हुं इस देश के नौजवान आजादी मिलने से पहले पहले इस Indian Police Act खत्म करवां देगें। ये मेरी भावना है, यही मेरे दिल की इच्छा है। लेकिन ये बहुत शर्म की बात है अजादी मिलने के बाद जिन लोगो ने देश कि सत्ता संभाली। उन्होने अंग्रेजो का भारत को बरबाद करने के लिये बनाये गये कानुनो में से एक भी कानुन नही बदला। बहुत शर्म की बात है, आजादी के 64 साल आज भी इस कानून को हम खत्म नहीं करवा पाये।

आज भी आप देखो Indian Police Act के आधार पर पुलिस देश वासियो पर कितना जूल्म करती है। कभी अंदोलन करने वाले किसनो को डंडे मारती है। कभी औरत को डंडे मारती है। सरकार के खिलाफ़ किसी भी तरह का अंदोलन किया जाता है। तो पुलिस आकर निर्दोश लोगो को डंडे मारने शुरु कर देती है।

आज तक किसी भी राजा ने पुलिस नही बनाई सबकी सेना हुआ करती थी।

अंग्रेजो ने पुलिस और Indian Police Act क्रंतिकारियो को लाठियो से पीटने और अपना बचाव करने के लिय़े बनाया था ।

आजादी के 64 साल बाद भी ये पुलिस सरकार में बैठे काले अंग्रेजो की रक्षा करती है। और सरकार के खिलाफ़ अंदोलनकरने वालो को वैसे ही पीटती है। जैसे अंग्रेजो कि पुलिस पीटा करती थी ।

आज हर साल 23 मार्च को हम भगत सिंह का शहीदी दिवस मानाते हैं। लाला लाजपत राय का शहीदी दिवस मानाते हैं। किस मुँह से हम उनको श्रधांजलि आर्पित करे, कि लाला लाजपत राय जी जिस कानून के आधार आपको लाठिया मारी गई और आपकी मौत हुई उस कानून को हम आजादी के 64 साल बाद भी हम खत्म नहीं करवा पाये, कि मुँह से हम भगत सिंह को श्रधंजलि दे कि भगत सिंह जी जिस अंग्रेजी कानून के आधार पर आपको फ़ासी की सज़ा हुई। आजादी के 64 साल बाद भी हम उसको सिर पर ढो रहे हैं। आज आजादी के 64 साल बाद आज भी पुलिस अंदोलन करने वाले भारत वासियो को वैसे ही डंडे मारे जैसे अंग्रेजो की पुलिस मारती तो थी तो कैसे की हम आजाद हैं।

Comments

Popular posts from this blog

"तुलसी दोहा शतक'' में गोस्वामी तुलसीदास ने किया था राम मंदिर को तोड़े जाने का जिक्र :: #AdvAnshuman

एक तर्क हमेशा दिया जाता है कि अगर बाबर ने राम मंदिर तोड़ा होता तो यह कैसे सम्भव होता कि महान रामभक्त और राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास इसका वर्णन पाने इस ग्रन्थ में नहीं करते ? ये बात सही है कि रामचरित मानस में गोस्वामी जी ने मंदिर विध्वंस और बाबरी मस्जिद का कोई वर्णन नहीं किया है। हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने इसको खूब प्रचारित किया और जन मानस में यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि कोई मंदिर टूटा ही नहीं था और यह सब झूठ है। यह प्रश्न इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष भी था। इलाहाबाद उच्च नयायालय में जब बहस शुरू हुयी तो श्री रामभद्राचार्य जी को Indian Evidence Act के अंतर्गत एक expert witness के तौर पर बुलाया गया और इस सवाल का उत्तर पूछा गया।  उन्होंने कहा कि यह सही है कि श्री रामचरित मानस में इस घटना का वर्णन नहीं है लेकिन तुलसीदास जी ने इसका वर्णन अपनी अन्य कृति 'तुलसी दोहा शतक' में किया है जो कि श्री रामचरित मानस से कम प्रचलित है। अतः यह कहना गलत है कि तुलसी दास जो कि बाबर के समकालीन भी थे,ने राम मंदिर तोड़े जाने की घटना का वर्णन नहीं किया है और जहाँ तक राम चरित मानस

लाभ-हानि, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ:-

वशिष्ठ जी भगवान श्रीराम के वनवास प्रकरण पर भरत जी को समझाते हैं, इस अवसर पर बाबा तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस की एक चौपाई में बहुत ही सुन्दर ढंग से लिखा हैं कि, "सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहुँ मुनिनाथ। हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश विधि हाथ।" इस प्रकरण पर सुन्दर विवेचन प्रस्तुत हैं बाबा तुलसीदास जी ने कहा है कि, "भले ही लाभ हानि जीवन, मरण ईश्वर के हाथ हो, परन्तु हानि के बाद हम हारें न यह हमारे ही हाथ है, लाभ को हम शुभ लाभ में परिवर्तित कर लें यह भी जीव के ही अधिकार क्षेत्र में आता है।  जीवन जितना भी मिले उसे हम कैसे जियें यह सिर्फ जीव अर्थात हम ही तय करते हैं। मरण अगर प्रभु के हाथ है, तो उस परमात्मा का स्मरण हमारे अपने हाथ में है।" @KashiSai

अधिवक्ता दिवस-2013 की शुभकामना || Wishes for Advocate's Day-2013

3rd December, 2013 an "Advocate's Day". Be United & Fight for our Rights. with lots of Wishes & Regards Anshuman Dubey Adv. अधिवक्ता दिवस-2013 की शुभकामनाओ के साथ,  सदैव आप के स्नेह और सहयोग का आभारी... आपका प्रिय अंशुमान दुबे, अधिवक्ता Mo. 9415221561 http://a3advocate.blogspot.in/   ~ * ~ Web link for Advocate's Day of   Adhivakta Pension Vikas Samiti, Varanasi:- http://advocatepension.blogspot.in/2011/12/happy-advocates-day.html